हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
बंधुओं जैसे कि उत्साह भरा हो जीवन हर लम्हा जीवन का अर्थ समझिए जीवन को उसके अर्थ प्रदान कीजिएl रो रो कर जीवन जीना जीवन जाए चार दिन का हो या 40 वर्ष का हो जब तक जिए प्रत्येक क्षण को आनंद भाव से जी आनंद आत्मा का मौलिक स्वभाव हl अपने स्वभाव को उपलब्ध कीजिए हम किसी के क्रोध का सामना करते हो भी मस्त रहे हैं और प्रेम से भी यदि कोई हम वर्जित क्यों थे तब भी हम तो अपनी मस्ती में ही मस्त रहेंगेl कोई गुस्सा करें तब भी रोटी खाना आना छोड़ें यदि हमें गुस्सा आज भी जाए तो ऐसा ना करना कि किसी अलग कमरे में जाकर बैठ गएl
जैसे कि पहले रानी आपको भवन में बैठ जाया करती थी तनाव नहीं गुस्सा नहीं चिंता नहीं हाल-चाल में मस्त रहे बहुत उत्साह रखेंl जिंदगी में जीवन के प्रत्यक्षण को उत्साह बनाएंl यदि साधना में बैठ रहे हैं तो साधना के प्रति उत्साह रखें कर्म योग करें तो कर्म योग के प्रति उत्साह रहेl यदि भक्ति योग में बैठ रहे हैं तो पक्की में अपना उत्साह रखेंl जितने उत्साह से हम जिस कार्य को करेंगे वह कार्य उतना ही पूर्ण होगाl
जिस कार्य को जितना मार्जिन और उदास हमसे करेंगे बहुत सारे होगा जिंदगी किसी कानपुरी की तरह है उसे बचाने के जीवन की कला आनी चाहिएl इस मिट्टी की नश्वर पाया में भी संगीत को पैदा करने का सिर्फ आना ही चाहिl जैसे पेट का कब्जा अच्छी बात नहीं है जैसे ही दिलों दिमाग में दिखाओ तो नहीं रहना चाहिएl हर व्यक्ति पेट में करें अपने मन में कब्ज को दूर करने के लिए हर व्यक्ति मन में कब से मुक्त हो खूब प्रसन्न रही हैl सदा आनंद चाहिए भीतर के स्वास्थ्य का यही पहला लक्षण हैंl
जय जिनेंद्र, जय महावीर










