जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने आदिनाथ भगवान का गुणगान करते हुए कहा प्रभु का ज्ञान दिव्य रूप मे जब प्रगट होता है तब सारा संसार आलोकित हो जाता है! उनके शरीर का रोम रोम देदीपिमान हो उठता है! उनके मुखा कृति की दिव्यता भव्यता के आगे चन्द्र सूर्य की ओजीस्वता तेजीस्वीता शीतलता भी कमजोर पड़ जाती है जब खेतो मे फसले लह लहाती है तो फिर नदी नाले या आकाश के बादलों का पानी भी कोई महत्व नहीं रखते, इसी प्रकार भगवान के गुणों के आगे दुनियां दारी के गुण स्वतः तेज हीन हो जाते है! मुनि जी ने आत्मबल भक्तिबल धर्मबल की चर्चा करते हुए कहा इतिहास साक्षी है इन शक्ति ऊर्जा के आगे दुनियां के साधन शक्तिहींन हो जाते है!
आज के वि ज्ञानिक साधन भी शक्तिहीन हो जाते है जब शरीर का मनोबल कमजोर हो जाता है तब डाक्टरो की चिकित्सा या आधुनिक उपकरण अपने काम करने स्वतः बन्द हो जाते है! वर्तमान व आधुनिक काल मे ये दृश्य कई बार दिखाई देते है कमजोर बीमार भी मनोबली होने से जीत जाते है!इसके विपरीत शरीरक बल या साधन सम्पन्न भी हार जाते है!
मुनि जी ने उदाहरण देते हुए कहा एक बार राजा व सेवक के बीच किसी बात को लेकर युद्ध हो गया, राजा को अपने तन मन धन पर गर्व था लेकिन सेवक के मन मे आत्मबल भरा पड़ा था परिणाम सेवक जीत गया राजा हार गया! सभा मे साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी द्वारा सामूहिक जाप कराए गए एवं भाग्यशाली विजेताओ को आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए गए! सभा के महामंत्री उमेश जैन ने जानकारी देते हुए कहा कि कल दिनांक 2 अक्टूबर को विशाल स्तर पर गुरु पुष्कर जन्म जयंती के अनेक कार्यक्रम जैन स्कूल, वीर कालोनी मे सम्पन होंगे।
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