गुणानुवाद सभा में साध्वी जी ने विश्वास व्यक्त किया कि मोदी के नेतृत्व में भारत बनेगा विश्व गुरु
Sagevaani.com @शिवपुरी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री ने अपनी सादगी, सरलता और उच्च विचारों के साथ देश की सेवा की है। उन जैसे राजनेता आज दुर्लभ हैं, लेकिन देश का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपवाद हैं। उन्होंने देश के मान सम्मान और गौरव को बढ़ाया है तथा भारतीय संस्कृति को शिखर पर पहुंचाने का काम वह कर रहे हैं और उनके नेतृत्व में विश्वास है कि भारत विश्व गुरू की ख्याति पुन: अर्जित करेगा। उक्त उद्गार प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने आज महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री जी के जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए व्यक्त किए। साध्वी रमणीक कुंवर जी ने महात्मा गांधी और शास्त्री जी से जुड़े कई संस्मरण सुनाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता को संस्कार देने का काम उनकी माँ ने किया था।
साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि आज 2 अक्टूबर का दिन देश के दो महान सपूतों को याद करने का दिन है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने अहिंसा की ताकत को एक नई पहचान दी है तथा बेडिय़ों से जकड़े देश को आजाद कराने में सफलता हासिल की। उन्हें संस्कारित करने का काम उनकी माँ ने किया। जब वह शिक्षा के लिए विदेश जा रहे थे तो उनकी माँ ने उनके विदेश जाने का यह कहकर विरोध किया कि वह वहां जाकर बिगड़ जाएंगे। उस दौरान जैन संत वेचर दास महाराज के उपदेशों से प्रेरित होकर उनकी माँ ने महात्मा गांधी को विदेश में मांस मदिरा का सेवन ना करने और परस्त्री गमन से दूर रहने की सौगंध दिलाई। जहां तक लालबहादुर शास्त्री का सवाल है तो वह ठिगने कद के अवश्य थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था। साध्वी जी ने कहा कि आज गांधी जी और शास्त्री जी जैसे राजनेता देखने को नहीं मिलते। आज के राजनेता जनता के दुखदर्द को नहीं समझते तथा उनका पूरा ध्यान अपनी पेटी भरने पर लगा रहता है।
क्रोध पानी पर खींची लकीर के समान होना चाहिए
धर्मसभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने क्रोध को भयंकर पाप बताते हुए कहा कि क्रोध चार प्रकार का होता है। सबसे खतरनाक क्रोध वह होता है जो पूरे जीवनकाल तक चलता है। ऐसा क्रोधी व्यक्ति मरने के बाद नरक में जाता है। दूसरी श्रेणी का क्रोध सालभर चलता है और सालभर में पर्यूषण के दौरान एक दूसरे से क्षमा मांगकर क्रोध का शमन कर लिया जाता है।
ऐसा क्रोधी व्यक्ति मरने पर त्रियंचगति को प्राप्त करता है। तीसरे नंबर का क्रोध चार माह का होता है। ऐसा व्यक्ति मरने के बाद पुन: मनुष्य जन्म प्राप्त करता है, लेकिन चौथे नंबर का क्रोध पानी पर खींची लकीर के समान होता है। जिस तरह से पानी पर लकीर खींचते हैं वैसे ही वह लकीर मिटने लग जाती है। ठीक उसी तरह का क्रोध होता है ऐसा व्यक्ति मरने के बाद देवगति को प्राप्त करता है, लेकिन जिसके जीवन में क्रोध नहीं होता वह मोक्ष गति को पाता है।