
मध्यप्रदेश के खरगोन जनपद के जावदा गांव में बाबूलालजी और कमलाबाई के घर में 28 नवम्बर 1970 को जन्मीं साध्वी कुमुदलता की मां का देहांत बचपन में ही हो गया था। मां के दिए धर्म संस्कार उनके जाने के बाद और प्रबल हो गए। इनके बचपन का नाम संगीता था। 23 मार्च 1983 को 13 वर्ष की आयु में आंध्रप्रदेश के कामरेड्डी गांव में दीवाकरिया मालव ससंहनी पू. गुरुनी कमलावती जी म.सा से दीक्षा ग्रहण की।
धर्म मार्ग के संन्यास पथ पर 30 साल की यात्रा में उन्होंने महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, कर्नाटक में लगभग 45 हजार किलोमिटर की पदयात्रा कर चार्तुमास कार्यक्रम किया। दीक्षा के समय साध्वी जी पांचवीं कक्षा में पढ़ती थीं। दीक्षा के पश्चात उन्होंने अपना अध्ययन निरंतर रखा अपनी पीएचडी की उपाधि ली।
ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, आगम शास्त्र, जैन दर्शन आदि में पारंगत वर्तमान में चेन्नई की दादावाड़ी में विराजित साध्वी जी का कहना है कि परिवार से ही उन्हें धर्म मार्ग पर चलने की शिक्षा मिली और मां के निधनके पश्चात बाद दीक्षा लेने का मन बना लिया।