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महापुरुषों की गाथा कितनी भी गाई जाए कम है: डाॅ.कुमुदलताजी

महापुरुषों की गाथा कितनी भी गाई जाए कम है: डाॅ.कुमुदलताजी

बाल संस्कार शिविर व रक्तदान शिविर का भी हुआ आयोजन

बेंगलूरु। गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में रविवार को यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी, महाप्रज्ञाजी, डाॅ.पद्मकीर्तिजी व राजकीर्तिजी की निश्रा में संतद्वय का जन्मजयंती प्रसंग गुणानुवाद सभा, गुरु चालिसा सहित विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया।
श्रमण संघीय आचार्यश्री आनंदऋषिजी के 120वें तथा उपाध्यायप्रवर श्री केवलमुनिजी के 106वें जन्मजयंती अवसर पर डाॅ.कुमुदलताजी ने कहा कि धर्म व गुरु के प्रति श्रद्धा से ही मनुष्य का बेड़ा पार संभव है। उन्होंने कहा कि संत धरातल का वैभव होते हैं, संत हमें विकृति से संस्कृति की ओर ले जाते हैं। साध्वीश्री ने कहा कि संतों का जीवन समाज व संघ की एकता के लिए समर्पित रहता है अर्थात वे इस धरा पर नर के रुप में नारायण बनकर अवतरित होते हैं। कुमुदलताजी ने कहा कि महापुरुषों की गाथा कितनी भी गाई जाए कम है।
साध्वीश्री ने संतद्वय को वंदन किया एवं अपने प्रवचन में श्रद्धा के पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि भाव से भावना, श्रद्धा से वंदना करने पर ऐसी दिव्य आत्माओं से साक्षात्कार संभव है। इससे पूर्व स्वर साम्राज्ञी महाप्रज्ञाजी ने कहा कि व्यक्ति के जन्म से ज्यादा कर्म का महत्व बतलाया गया है। अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति के कदमों में दुनिया झुकती है। संतद्वय के जीवन वृतांत पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए साध्वीश्री ने कहा कि जिस प्रकार पेड़ के पत्तों को गिनना मुश्किल हैं, वैसे ही गुरुओं के गुणों को मापना असंभव है। महाप्रज्ञाजी ने यह भी कहा कि साधना से संतत्व को प्राप्त करने वाले गुरुओं के दिवस विशेष पर गुणानुवाद से श्रोताओं का जीवन मंगलकारी होता है।
साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने संतद्वय के पंचदिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम के समापन अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि जन्ममहोत्सव पर गुरुवंदन से उनके जीवन की आभा हमारे जीवन में आए ऐसी भावना करनी चाहिए। सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि सांसारिक दुखों को झेल रहे मनुष्य को सुख गुरु ही दे सकता है। साध्वीवृंद ने गुरु गुणगान की गीतिकाओं की सामूहिक प्रस्तुतियां भी दी। इस अवसर पर बतौर अतिथि भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष अब्दुल अजीम ने कहा कि धर्मसभा में किस्मत वाले लोग ही शामिल हो सकते हैं, जहां भगवान का जिक्र व तारीफ होती है। उन्होंने स्वयं को भाग्यशाली बताते हुए उपस्थित साध्वीवृंद तथा तपस्वियों को नमन किया व कहा कि शारीरिक ही नहीं आत्मिक उत्थान के लिए जैन संत व श्रद्धालु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात हैं।
समिति के कोषाध्यक्ष गुलाबचंद पगारिया ने बताया कि धर्मसभा में वैरागन पायल, जैन काॅन्फ्रेंस के पूर्व महामंत्री राजेंद्रप्रसाद कोठारी, जैन काॅन्फ्रेंस युवा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष किरण गोलेच्छा, होसपेट महिला मंडल व रसीला मरलेचा ने अपनी-अपनी भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम में युवा समिति के अध्यक्ष राजेश गुलेच्छा के नेतृत्व में 50 फिट का ‘हैप्पी बर्थडे गुरुदेव’ बेनर भी प्रदर्शित किया गया। पगारिया ने बताया कि गुरु दिवाकर महिला समिति व कन्या मंडल की टीम द्वारा केवलमुनिजी के जीवन चरित्र पर आधारित लघु नाटिका का मंचन भी किया गया।
पारसमल गुलेच्छा द्वारा लिखित इस नाटिका का संचालन अशोक नागोरी व मंजू लूंकड़ द्वारा किया गया, जिसमें भोपालचंद पगारिया ने संत चैथमलजी की भूमिका अदा की। समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि धर्मसभा में गुरुस्मरण समारोह के लाभार्थी ललिताबाई-किरणचंद, रसीलाबाई राजेंद्रकुमार मंजुबाई धर्मेंद्रकुमार मरलेचा परिवार का समिति पदाधिकारियों द्वारा बहुमान किया गया। साथ ही अतिथि अब्दुल अजीम का सम्मान समिति के चेयरमैन किरणचंद मरलेचा, अध्यक्ष केसरीमल बुरड़, कार्याध्यक्ष पन्नालाल कोठारी व महामंत्री चेतन दरड़ा ने किया।
रांका ने बताया कि इस अवसर पर चेन्नई, कोयंबटूर, मुंबई, केजीएफ, होसपेट, सुरत, पूणे व मेवाड़ सहित बेंगलूरु शहर के विभिन्न उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुणानुवाद सभा में भाग लिया। चेन्नई से 135 सदस्यीय संघ लेकर आए श्रीमती पुष्पाबाई मीठालाल अशोककुमार महावीर गौतम व उज्ज्वल तालेड़ा परिवार का सम्मान भी समिति के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
चेतन दरड़ा ने बताया कि दोपहर के सत्र में बाल संस्कार शिविर व युवा समिति के नेतृत्व में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि गुरु केवल भक्तों व सिटी जैन युवक संघ द्वारा दान के लिए चावल-दाल की प्रभावना वितरित की गई। कार्यक्रम का संचालन अशोककुमार गादिया ने किया।

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