सेलम. यहां शंकर नगर स्थित जैन स्थानक में विराजित वीरेन्द्र मुनि ने सुख विपाक सूत्र के माध्यम से श्रोताओं को भगवान महावीर स्वामी की वाणी सुनाते हुए कहा आर्य जम्बू स्वामी के पूछने पर आर्य सुधर्मा स्वामी सुनाते हैं कि भगवान महावीर स्वामी के सामने राजा प्रजा को युवराज को श्रावक धर्म का विश्लेषण कर रहे हैं।
मनुष्य का भव मिला तो व्रतों का पालन त्याग प्रत्याख्यान जीवन में होना ही चाहिए। जिस जीवन में त्याग व्रत नहीं वह पशु के समान है। धर्म के बिना मनुष्य पशु के समान है। जिस मनुष्य में विवेक ज्ञान धर्म नहीं है उसको भी ज्ञानियों ने पशु के समान कहा है।