- श्री घंटाकर्ण स्तोत्र जाप में उमड़े सैकड़ों श्रद्धालु
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ पंचायती नोहरा उदयपुर के तत्वावधान में चातुर्मास हेतु विराजमान जैन संत प्रवर्तक सुकन मुनि, उपप्रवर्तक अमृत मुनि, महेश मुनि, अखिलेश मुनि, डॉ वरुण मुनि के सानिध्य में श्री घंटाकार्ण स्तोत्र का विशेष जाप अनुष्ठान आयोजित हुआ जिसमें 400 से अधिक साधकों ने सपरिवार भाग लिया। प्रवर्तक सुकन मुनि महाराज ने कहा कि महापुरुषों का नाम जपने से आत्मा शुद्ध बुद्ध बनती है। परमात्मा के नाम स्मरण से समस्त आधी व्याधि और उपाधि शांत हो जाते हैं। परमात्मा के नामों में अभूतपूर्व शक्ति समाहित है। शुद्ध ह्रदय साफ दिल से किया हुआ नाम गुण स्मरण भव चक्र को मिटाने वाला होता है। मंत्र सदा काल चमत्कारी होते हैं। जितनी हमारी श्रद्धा शुद्ध रहेगी उतने ही मंत्र फलदाई बनेंगे। जैन धर्म के स्तोत्र कलयुग में कल्पवृक्ष की तरह है। एक चित एक भाव से गुंजित मंत्र आत्मा के ऊपर छाई कर्म आवरण को हटाने में सक्षम होते हैं।
*उपप्रवर्तक अमृत मुनि* ने कहा कि श्री घंटाकर्ण महावीर जैन धर्म के 52 वीर देवों में से एक है। घंटाकर्ण महावीर सम्यक दृष्टि साधकों के परम रक्षक है। जो भी शुद्ध मन से घंटाकर्ण महावीर को स्मरण करता है, उसके जीवन से राज भय, अकाल मृत्यु, सर्प दर्शन, वात पित्त कफ आदि रोग, भूत, पिशाच, राक्षस तथा अग्नि, चोर आदि का भय उपद्रव समाप्त हो जाता है।
महेश मुनि, अखिलेश मुनि, डॉ वरुण मुनि तथा महासती हर्षप्रभा ने घंटाकर्ण स्तोत्र जाप करवाते हुए कहा कि विशेष पाठ के द्वारा विशेष ईष्ट को स्मरण करने से हर संकट दूर होते हैं। वही डॉ वरुण मुनि ने जाप के अंत में साधना विधि संपन्न करवाते हुए श्री शांतिधारा का पाठ का वृहद रूप से वांचन किया।
★घंटाकर्ण स्तोत्र अनुष्ठान जाप के लाभार्थी गुरुभक्त परिवार रहे।
★घर घर नवकार जाप का कलश जीतमल जी पोकरणा के आवास में पहुंचा।
★भूरी बाई जी सिंघवी ने 3 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।