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शास्त्र के वचन परम मूल्यवान है: मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी

शास्त्र के वचन परम मूल्यवान है: मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी

🏰☔ *साक्षात्कार वर्षावास* ☔🏰

*ता :10/8/2023 गुरुवार*

 

🛕 *स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई*

🪷 *विश्व पूजनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत, युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के प्रवचन के अंश

🪔 *विषय अभिधान राजेंद्र कोष भाग 7*🪔

~ दर्द, पीड़ा, दुखों से मुक्ति के लिए ज्ञानी भगवंतो ने तपधर्म, ज्ञानधर्म और ध्यानधर्म की सम्यक् रूप से प्ररूपना की है।

~ अज्ञानता दूर होने से कर्म से भी मुक्ति पाना अत्यंत सरल है ।

~ हमारी अध्यात्म दशा को पाने के लिए मन की शुद्धि वो साधन है और आत्मा की अनुभूति वो साध्य है।

~ शास्त्र के वचन परम मूल्यवान है क्योंकि उसे हरपल आत्मा स्मरण की पराकाष्ठा तक पहुंच ही सकते हैं।

~ प्रभु महावीर स्वामी के जैन दर्शन में गौतमस्वामी, हरीभद्रसूरी जैसे ब्राह्मण और चंडकौशिक जैसा सांप भी प्रवेश करता है उसका मूल आत्मा तत्व की सिद्धि थी।

~ मानव मात्र स्वयं के भीतर में रही अनंत ज्ञान की संपदा को अनुभव कर ही सकता है।

~ धर्म करने के बहुत मार्ग है किंतु धर्म की फलश्रुति के लिए केवल एक ही मार्ग है सम्यक दर्शन, ज्ञान, चरित्र की साधना।

~ प.पू. प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब ने जीवन में आने वाले सभी कष्टों में परम समता भाव धारण किया था जिसके बल से मृत्यु के पल में भी परम आनंद में ही थे ।

~ महामंत्र की सम्यक साधना के बल से परमसाधना, परमसमाधि और परमसिद्धि साधक के चरणों में सेवा के लिए हर पल तत्पर ही रहती है।

 

*”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*

🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪

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