आमेट के महावीर भवन मे वीरपत्ता की पावन भूमि पर चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी आनन्द प्रभा ने कहा मानव जीवन अनमोल है, इसका सदुपयोग जीवन को संवारने में करेl
हमारी आत्मा पर कर्मों की धूल जम गई है। इसे साफ कर पाना केवल इस दुर्लभ मानव जीवन में ही संभव है। यदि अब भी नहीं संभले तो आत्मा 84 लाख योनियों में कष्टों को भोगते हुए भ्रमण करेगी। मानव जीवन अनमोल है, इसका सदुपयोग जीवन को संवारने में करेंमन की पवित्रता से जीवन आगे बढ़ता है। क्योंकि जीवन में मन ही है जो भटकता है और जीवन को भी भटकाता है। यदि वह अपने वश में हो जाता है तो सब कुछ सही रहता है। जीवन का उत्थान होता है।मनुष्य जीवन की तुलना वृक्ष से करते हुए कहा जिस प्रकार से एक बार किसी वृक्ष के जल जाने पर वह फिर से वृक्ष बन जाए यह संभव नहीं है। इसी प्रकार फिर से मनुष्य जन्म प्राप्त हो जाने के पश्चात भी अच्छा देश, अच्छे कुल, निरोगी काया, परम वैभव और शरीर की पूर्णता मिल पाना बहुत कठिन है। अत: आज जब हमे मनुष्य जीवन मिला है तो अपनी आत्मा का ध्यान कर उसे अच्छे पुण्य कार्य कर ऊंचाइयों तक ले जाने का लक्ष्य रखना चाहिए।
साध्वी विनीत प्रज्ञा ने कहा काम-क्रोध, मान-माया का त्याग करें, जिनवाणी के प्रति सच्ची श्रद्धा रखें। कहीं घूमने जाते हैं तो जैसे अपने मित्रों को भी साथ चलने का प्रस्ताव देते हैं, उसी प्रकार सत्संग में जाने के लिए भी अपने साथियों को प्रेरित करें। जिन सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए आपने पूरा जीवन लगा दिया, मृत्यु के बाद यहीं रह जाएंगे। अर्थ से ज्यादा कर्म पर ध्यान दीजिए क्योंकि अर्थ यहीं रह जाएगा, कर्म ही आगे की यात्रा में आपके साथ जाएगा।
मीडिया प्रभारी प्रकाश चंद्र बड़ोला एवं मुकेश सिरोया ने बताया कि बैंगलोर से गुरु भक्त लादुलाल दलाल इस धर्म मे पधारे श्री संघ ने शाल माला पहनाकर उनका स्वागत अभिनंदन किया।।
इस अवसर पर आज शुक्रवार के पदमावती माता जी के सामूहिक एकासन रखा गया। जिसमे महिला मंडल एवं श्रावको ने सामूहिक रूप से एकासन व्रत महावीर भवन की भोजनशाला मे खोला। सामूहिक व्रत के लाभार्थी गुरु भक्त लादुलाल दलाल निवासी ताल की तरफ से रखा गया। इस अवसर पर ताल निवासी श्री संघ के श्रावक एंव श्राविकाएँ उपस्थित थे। इस धर्म सभा का संचालन ललित डांगी ने किया।