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माँ के कर्ज को अदा करने का फर्ज निभायें – साध्वी अणिमाश्री

माँ के कर्ज को अदा करने का फर्ज निभायें – साध्वी अणिमाश्री

तेयुप द्वारा आयोजित दीपशिखा कार्यशाला में माँ के गुणों का किया गुणानुवाद

त्याग का यज्ञ है माँ, कुर्बानी का जज्बा है माँ, ममता का महासागर है माँ, समता एवं समाधि का मंदिर है  माँ – उपरोक्त विचार साध्वी अणिमाश्री ने तेरापंथ युवक परिषद्, चेन्नई के तत्वावधान में तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला “दीपशिखा” के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम में कहें।


  

ममता, स्नेह, त्याग की दीपशिखा है – माँ विषय पर भावात्मक विचार प्रकट करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि एक संवेदनशील व्यक्तित्व का नाम है माँ। सहनशीलता की प्रतिमूर्ति है। माँ अपने आप में अमानत है, हमारी अमूल्य सम्पदा हैं। माँ अपने आप में पुरा शास्त्र है। जो पुत्र-पुत्री इसमें निपुर्ण बन जाता है, पारंगत बन जाता है, वह महानता के शिखरों पर आरोहण कर सकता हैं।

साध्वीश्री ने हर दिल को रोमांचित कर देने वाले प्रेरक उद्बोधन में कहा कि माँ से ही हमारी शुरुआत होती हैं। प्रथम पाठशाला हैं माँ। माँ आंचल है, सूरज की रोशनी है, चांद की चांदनी है, तारों की टिमटिमाहट है। माँ फूलों की खुशबू और झरनों का कलकल स्वर है। अमीरी या गरीबी नहीं अपितु माँ के लिए भावना मायने रखती हैं। हर पुत्र का सलक्ष्य परम कर्तव्य होना चाहिए कि माँ के कर्ज को अदा करने का फर्ज निभायें। उनके धार्मिक क्रिया में सहयोग कर मातृऋण से ऊऋण बने।


 

भावविभोर और गदगद जनमानस के बीच घटना प्रसंग का उल्लेख करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि अब्राहिम लिंकन मानता था कि वह मां ही थी, जिसने मुझे कभी भी, किसी भी, परिस्थिति में टूटने नहीं दिया। साध्वीश्री ने कहा कि माँ ने ही अपनी संतान को सही संस्कार देकर अपनी कोख की गरिमा बढ़ाई और संतान को विश्ववंदनीय बनाया। मां शब्द बीज की तरह छोटा है, मगर बरगद की तरह विशाल है। मां रूपी बरगद की छांव में बैठकर हर व्यक्ति आनंद की अनुभूति करता है। वे व्यक्ति धन्य होते हैं, जो मां बाप की सेवा करते हैं, उनके साथ रहते हैं।

साध्वी कर्णिकाश्री ने अपने वक्तव्य में कहा दुनिया में सबसे कठिन काम है अपनी पहचान बनाना। हम अपने श्रम से, सोच से, चिंतन से, विचार, व्यवहार एवं स्वभाव से अपनी नई पहचान बनाएं। साध्वी सुधाप्रभा ने मंच का प्रभावशाली संचालन करते हुए कहा माँ ममता का वह निर्मल घाट है, जिस पर बैठकर अनगिन व्यक्तियों ने शांति, सकून, आनंद एवं समाधि प्राप्त की है। माँ वो अखंड दीपशिखा है जो जीवन के हर अंधेरे मोड़ को उजालों से भर देती है।

साध्वी समत्वययशा ने सुमधुर गीत का संगान किया। साध्वी मैत्रीप्रभा ने आगमवाणी का अमृतपान करवाया।

तेयुप अध्यक्ष मुकेश नवलखा ने स्वागत भाषण देते हुए अपने भावों की प्रस्तुति दी। मधुर गायक नवीन बोहरा एवं तेयुप चेन्नई के साथियों ने मंगलाचरण किया। आभार ज्ञापन तेयुप मंत्री संतोष सेठिया ने किया।
            स्वरुप चन्द दाँती
          प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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