श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर
बैंगलोर में चातुर्मासार्थ विराजित
दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार
परम पूज्य डॉ . श्री वरुण मुनि जी म. सा. ने गुरुवार को धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति जीवन में स्वार्थ की नहीं परमार्थ की भावना अपने जीवन में विकसित करें
क्योंकि तीर्थंकर परमात्मा प्रभु महावीर की जिनवाणी का यही असली सार है और वर्तमान में संसार में सुखी जीवन का मूल मंत्र है।
जहां स्वार्थ का भाव व्यक्ति को संकुचित बनाता है।
वहीं परमार्थ सेवा, परोपकार का भाव व्यक्ति को उदार चित खुश हाल बनाता है और जीवन में
एक नये असीम आनन्द का संगीत का सर्जन करता है।
परोपकार जीवन को
महान बनता है।
सभा में मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की।
अन्त में परम पूज्य उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको मंगल पाठ प्रदान किया।