श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ स्थानक नाथद्वारा में युवाचार्य पूज्य गुरुदेव श्री मधुकर मुनि जी महाराज साहब की सुशिष्या महासती कमलप्रभा जी महाराज साहब के शुभ सानिध्य में चातुर्मासिक धर्म आराधना चल रही है ।
साध्वी कमलप्रभा ने अपने प्रवचन में फरमाया की -जागने के लिए नींद का त्याग आवश्यक है उसी प्रकार परमात्मा को पाने के लिए अहंकार का त्याग आवश्यक है आज व्यक्ति अभिमान करता है मानव को देखकर मानव अहंकार में फुला रहता है खंबे की तरह अकड़ा रहता है मगर मानव का अहम और अकड़ ही उसे छोटा बनाने वाली है अहंकार मानव के कद को छोटा ही नहीं बौना भी बना देता है जो झुक कर रहता है वहां अनबन की खाईयां नहीं बनती आपसी क्लेश जल्दी मिट जाता है जब बाढ़ आती है तो प्रवाह के पानी में वही पौधा नहीं टूटता है जो झुक जाता है जो झुकता नहीं है तनकर करके खड़ा रहता है उसे पानी का प्रवाह तोड़कर गिरा देता है इसलिए अर्हम बनने के लिए हमको अहम त्यागना होगा।
साध्वी लब्धिप्रभा ने कहा कि- जैसा संग होता है वैसा ही जीवन का रंग बन जाता है संग किया था गौतम ने प्रभु महावीर का जैसा संग किया वैसे ही बन गए प्रभु तीर्थंकर बने तो प्रभु के संग से वे भी गणधर बन गए प्रभु ने केवलज्ञान पाया मुक्ति पाई तो गौतमस्वामी ने भी वह सब पाया संग किया वाल्मीकि ने संतों का रत्नाकर डाकू से वे वाल्मीकि संत बन गए और जिस हृदय से लोगों को परेशान किया उस हृदय से उन्होंने रामायण जैसा महाकाव्य लिख डाला तो हमेशा सत्संगति करें ।
प्रवचन सभा में फतेहलाल लोढा रंगलाल डागलिया संपतलाल लोढा नानालाल बागरेचा रणजीत बोहरा राजकुमार छाजेड़ के.अनिल लोढ़ा बंटी लोढ़ा आदि श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थेl