सुख- महासुख-परमसुख इन तीन सुखो मे परमसुख का अनुभव करोंगे तो आत्मा महान बन सकती है- महासाध्वी डॉ. संय्यमलताजी का प्रतिपादन! रतलाम- जैन दिवाकरीय, दक्षिण चंद्रिका पु. डॉ. संय्यमलताजी म.सा. प्रखर वक्ता पु. डॉ.अमित प्रज्ञाजी म. सा. एकांतर तप आराधिका डॉ. कमल प्रज्ञाजी म.सा. एवं एकांतर तप आराधिका पुसौरभ प्रज्ञाजी म.सा. आदि ठाणा 4 धर्म नगरी रतलाम मे चातुर्मासार्थ विराजमान है! रतलाम नगरी से बड़े बड़े महान संत जिनशासन की सेवामे समर्पित हुये है! आज असंख्य भाविको के सामने डॉ. महासाध्वी संय्यमलताजी ने सुख के तीन प्रकारो का विश्लेषण कर हमे परमसुख का लाभ लेने का एहलान किया तो डॉ. अमित प्रज्ञा जी ने पिता के अनन्य साधारण महत्व का वर्णन विविध द्रष्टांत के माध्यम से विशद किया!
चातुर्मास क़ालीन विविध आध्यात्मिक कार्यकमो की जानकारी देकर वंदना के मॉंसखमण की घोषणा की जिसमें हर रोज़ 31 वंदनाएँ गुरुचरणो मे रखी जायेंगी! आज के धर्म सभा मे विविध प्रांतो के भक्तगण सम्मिलित हुये! आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघ के अध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी अपनी गुरुबहना डॉ. संय्यमलताजी के आशीर्वचन एवं आशिर्वाद लेने उपस्थित हुये!
सन 2020 में करोना काल मे सुभाषजी एवं विश्वस्त मंडल द्वारा प्रदान की गयी सेवा की सराहना की! लाड़ली नन्ही शिष्या कु मिश्का ने जन्म के द्वितीय मॉंस मे गुरमॉं के लिए दर्शन एवं आशिर्वाद का गौरवता पुर्ण उल्लेख किया! धर्म अनुरागीयों की बड़ी भारी संख्या मे उपस्थिती महासतीयों के प्रवचन और धर्म आराधना का प्रभाव है! रतलाम वासी भाग्यशाली हैं जिन्हें ऐसे महान साध्वीयों की जिनवाणी सुनने का लाभ मिल रहा है!