दान देने का अवसर उनको ही मिलता जो सौभाग्यशाली होते है-दर्शनप्रभाजी म.सा.
गोड़ादरा स्थित महावीर भवन में चातुर्मासिक प्रवचन
Sagevaani.com /सूरत,। तप त्याग करके हम अपने जीवन को उन्नत व आध्यात्मिक बना सकते है। तप शरीर को तपाने के साथ आत्मा को भी पावन बनाता है। तप करने से आत्मा निखरती है। तप करने की भावना कई लोगों के मन में लेकिन सभी कर नहीं पाते है। जो तपस्वी करते है उनकी अनुमोदना करके भी हम पुण्य प्राप्त कर सकते है। ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने बुधवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस बात की खुशी है कि पर्युषण समाप्ति के बाद भी तपस्याओं का दौर निरन्तर जारी है। तपस्या करके हम अपनी आत्मा का कल्याण कर रहे है।
उन्होंने कहा कि 15 सितम्बर को पूज्य जयमलजी म.सा. की जयंति तप त्याग व 12 घंटे के जाप के साथ मनानी है। रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि संसार में तीन प्रकृति के लोग है निंदनीय,वंदनीय, अभिवंदनीय। जहां नायक होते है वहां खलनायक भी होते है। जहां क्रिया होंगी वहां प्रतिक्रिया भी होंगी। सोना जागना भी है तो अच्छा भी है बुरा भी है। निंदा करने से भी कर्म निर्जरा होती है। उन्होंने कहा कि दान देने से भी अपार खुशी का अनुभव करना चाहिए क्योंकि इसका अवसर भी सौभाग्यशालियों को ही मिलता है।
हम श्रेष्ठ कार्य करेंगे तो सबके वंदनीय भी बन जाएंगे। हम ऐसे कार्य करे कि लोगों की नजर में वंदनीय हो जाए। तप से तन ओर मन दोनों निर्मल व पवित्र हो जाते है। इसलिए जो भी तपस्या करते है वह वंदनीय है। विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. ने भजन गुरूवर के चरणों में श्रद्धा से नमन है की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा.,तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा.,सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा।
पर्युषण के बाद भी तपस्याओं का दौर अनवरत जारी
महासाध्वी मण्डल के सानिध्य में पर्युषण के बाद भी तपस्या का दौर अनवरत जारी है। बुधवार को प्रवचन में प्रियंकाजी श्रीश्रीमाल, टीनाजी श्रीश्रीमाल, मीनाजी सिसोदिया, रेखाजी हिंगड़, मोहितजी मोदी ने 11-11 उपवास एवं हार्दिकजी लोढ़ा ने आठ उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. के मुखारबिंद से ग्रहण किए। तपस्वियों की अनुमोदना में हर्ष-हर्ष, जय-जय के जयकारे गूंजायमान हो उठे।
साध्वी मण्डल ने तपस्वियों के मंगलभावना व्यक्त की। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल, एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के मंत्री महावीरप्रसादजी नानेचा ने किया।
*श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, लिम्बायत, गोड़ादरा, सूरत*
सम्पर्क एवं आवास व्यवस्था संयोजक-
अरविन्द नानेचा 7016291955
शांतिलाल शिशोदिया 9427821813
*प्रस्तुतिः* निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा