श्रुत प्रभावक, डॉ. मुनिराज श्री वैभवरत्नविजयजी म.सा. आदि भगवंत द्वारा प्रवचन “रक्ष रक्ष तीर्थथेश्वर” आज श्री राजेन्द्र भवन में आयोजित तीर्थों की रक्षा कई सदियों से कैसे सम्भाला उन धर्म प्रेमीयों की गाथा भाव यात्रा द्वारा समझाया।
कभी भी तीर्थों पर अन्याय होता देखे तो सभी धर्म प्रेमी अपने जान की परवाह किए बिना तीर्थों की रक्षा कैसे करें उसके कई उदहारण बता कर समझाया पुराने तीर्थों की धरोहर को कैसे बसाया। पूरी जानकारी भाव यात्रा में संगीत की मधुर धुन के साथ हार्दिक भाई एवं विराज भाई से समझाया गया सभी धर्म प्रेमी बंधुओं ने प्रतिज्ञा ली की तीर्थों की रक्षा के लिए हमारा जीवन सदा तत्पर रहेगा।
~यदि हमारे हदय में जैन शासन का अनुपम महत्व है तो हम शासन की सुरक्षा के लिए हमारा सर्वस्व त्याग करने के लिए भी तैयार रहेंगे।
~मेवाड़ के राणा महाराजा प्रताप को भामाशा ने 12 साल तक अखड़ संपति का अन्नदान दिया था।
~ यदि हमारी मृत्यु आने वाली है तो कीडे, मकोड़े की तरह नहीं किन्तु जैनशासन भरतराष्ट्र के लिए शहीद होकर शर की मौत ही मरना चाहिए।
~ हमारे शरीर में, हृदय में ,मन में ल्हू कण कण में समाज की, शासन की,राष्ट्र की,विश्व की सुरक्षा के में आगे होना ही चाहिए।
~ यदि हमारे धर्म का संस्कृति का नाश तो राष्ट्र का नाश होना निधित है।
~ हमारे में मानना जीवन केवल जिने के लिए नहीं राख में मिलने के लिए नहीं किन्तु अमर बनने के लिए हैं।
~प.प् विश्ववन्दनीय प्रभु राजेंद्रसूरी महाराज ने जालौर के मंदिरजी मैं टोप,गोला,बारूद निकलवाया था कवल अर्ह के प्रभाव से किया था।
~ हमारे जीवन में यदि हमारे परिवार,समाज, देश की सुरक्षा करनी ही है तो सर्वप्रथम हमें हमारे आचरणों की श्रेष्टता पानी ही चाहिए।
~ प्रभु महावीरस्वामी ने जगत के सभी जीवों कि शांति,सुख,समाधि पाने के लिए वैशाख सुद्ध:11 के दिन जैनशासन की स्थापना कि थी।