दुर्ग/ आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला मैं आज आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में संत श्री गौरव मुनि ने गुरु की महिमा के संदर्भ में अपना प्रवचन केंद्रित रखा। छत्तीसगढ़ प्रवर्तक श्री रतन मुनी, श्री सतीश मुनि, श्री विवेक मुनि जी महाराज के सानिध्य में चातुर्मास निर्विघ्नं संपादित हो रहे हैं।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए संत श्री गौरव ने कहां गुरु के उपकार को हमें अपने जीवन के अंदर स्वीकार करना चाहिए। गुरु की उपमा देते हुए कहा गुरु नाविक होते हैं, गुरु भाविक होते हैं, गुरु शिल्पकार होते हैं, गुरु पथिक होते हैं, जीवन के हर क्षेत्र में गुरु अपना मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। जीवन रूपी नैया को पार करने के लिए गुरु की शरण में जाना आवश्यक है। गुरु ही भाविक है जो हमें भाव पार लगाते हैं। जो आत्मा से परमात्मा की ओर जोड़ने की महत्वपूर्ण कड़ी है गुरु, पथिक है जो हमें जीवन पर्यंत हमारे पथ प्रदर्शक बने रहते हैं।
तपो मूर्ति श्री गौरव मुनि ने धर्म सभा में आगे कहा जिसके जीवन में गुरु नहीं होते उनका जीवन सदमार्ग की ओर नहीं जा सकता। गुरु नहीं तो जीवन शुरू नहीं गुरु ही हमारे जीवन का पालनहार है। गुरु सबके हितकारी होते हैं, गुणकारी होते हैं, गुरु उपकारी होते हैं, गुरु हमारे लिए कष्ट निवारी होते हैं। गुरु के साथ हमारा व्यवहार विश्वास का होना चाहिए, विनय का होना चाहिए, विवेक का होना चाहिए, गुरु के कहे आदेश की हमें कभी अहवेलना नहीं करनी चाहिए गुरु की असातना, विराधना एवं निंदा नहीं करना चाहिए। इसके दुष्प्रभाव इस जीवन काल में हमें देखने को मिलते हैं और हमारे बुरे कर्म बंधने लगते हैं।
श्रमण संघ दुर्ग के अध्यक्ष निर्मल बाफना एवं टीकम छाजेड़ ने बताया कल रविवार को संध्या 3:00 बजे 5 वर्ष से 20 वर्ष तक के बच्चों के लिए धार्मिक संस्कार के तहत मां सरस्वती आराधना का कार्यक्रम संत गौरव मुनि के मार्गदर्शन में आयोजित है।
श्रमण संघ दुर्ग के प्रचार प्रसार प्रमुख नवीन संचेती ने कार्यक्रम के संदर्भ में बताया आनंद मधुकर रतन भवन की आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला में जैन समाज के सभी वर्ग के लोग अमृतमय वाणी सुनने का भरपूर लाभ ले रहे हैं। मुनि वृंद के सानिध्य में
मां पद्मावती ,ईकासना, आयंबिल व्रत नियमित रूप से चल रहे हैं। आने वाले दिनों में भक्तांबर स्त्रोत की 48 गाथाओं का जाप अनुष्ठान आनंद मधुकर रतन भवन में प्रारंभ होगा।
नवीन संचेती
प्रचार प्रसार प्रमुख
श्रमण संघ दुर्ग