साहित्य सम्राट प.पू. गुरुदेव श्री अमर मुनि जी महाराज के 75वें दीक्षा दिवस पर पूज्य श्री पंकज मुनि जी म.सा. के सान्निध्य में एवं दक्षिण सूर्य डाॅ. श्री वरुण मुनि जी म. सा. के मार्गदर्शन में गुरु अमर सेवा सम्मान समारोह का आयोजन 5 अक्तूबर को वसंत नगर, सरदार पटेल भवन, बैंगलोर में भव्य स्तर पर किया जा रहा है।
इस अवसर पर मौन साधनाचार्य श्री बसंत मुनि जी महाराज, पुलकित मुनि जी महाराज, ध्यानयोग विजय जी महाराज, श्री निर्मला जी महाराज, आगम श्री जी महाराज, रिद्धि श्री जी महाराज, पावन रत्ना श्री जी महाराज, एवं श्री जिनांग निधि श्री जी महाराज द्वारा पूज्य श्री अमर मुनि जी महाराज के महान व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गुणगान किया जाएगा। इस मौके पर श्री राजेश मेहता जी को धार्मिक सेवा के लिए संघ शिरोमणि दानवीर भामाशाह अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। संतोष जैन, राष्ट्रीय अध्यक्षा जैन महिला कांन्फ्रेंस को गुरु अमर मानव सेवा सम्मान से अलंकृत किया जाएगा, जिन्होंने देशभर में 75,000 राशन किट वितरित की हैं।
डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने बताया कि इस अवसर पर श्री विपुल जैन को गुरु अमर भक्त रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। उनके द्वारा दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात आदि राज्यों में अमृत वर्ष उत्सव के दौरान पर्यावरण संरक्षण हेतु लगभग 75 हज़ार पौधे लगाए और वितरित किए गए। इस सेवा रत्न अवॉर्ड से सम्मानित करने का उद्देश्य यह है ताकि कुछ प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों की छिपी हुई क्षमताओं को सामने लाया जा सके। उन्होंने बताया कि हैदराबाद की प्रियंका जैन को विशेष गुरु अमर श्रुत सेवा सम्मान से अलंकृत किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढीयां और युवा उनसे प्रेरणा लेकर समाज सेवा, मानव सेवा तथा जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे बढ़ सकें। यह सम्मान समारोह उन प्रतिभावान हस्तियों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है जिन्होंने लंबे समय से समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस वर्ष कार्यक्रम का शुभारंभ बैंगलोर के गांधीनगर में 5 अक्टूबर को किया जा रहा है।
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए डॉ. वरुण मुनि जी ने कहा कि जिस दिन आत्मा में परमात्मा के लिए सच्ची प्यास जागती है, उस दिन समझ लेना चाहिए कि परमात्मा दूर नहीं है। उन्होंने कहा कि भक्ति भारतीय संस्कृति का आदर्श गुण है। परमात्मा की पूजा करने से मन में प्रसन्नता आती है। भक्ति मार्ग सभी धार्मिक दर्शनों में सर्वोत्तम माना जाता है। अटल भक्ति वही है जो पूर्णत: परमात्मा को समर्पित है। परमात्मा का नाम सत्य है और उसमें अथाह शक्ति है। प्रार्थना और पूजा से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
उन्होंने आगे कहा कि दुखी जीवों को अनदेखा करना धर्म और परमात्मा का अपमान है। परमात्मा हर जीव में वास करता है, उसकी सेवा करना ही सच्ची धार्मिक पूजा है। धर्म चाहे कोई भी हो, सभी धर्म सेवा, प्रेम और मानवता का संदेश देते हैं, लेकिन लोगों ने स्वार्थवश इसे अलग-अलग प्रकार से परिभाषित किया है। जैन दर्शन एक महान दर्शन है जो जीवनशैली को बदल देता है। जिसने अपनी आत्मा को जीत लिया वही जिनेंद्र कहलाता है। दूसरों को जीतना आसान है, पर स्वयं को जीतना बहुत कठिन है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में परमात्मा को ढूंढने की आवश्यकता नहीं है, उसका निवास तो अपने भीतर है। उसकी सेवा करना ही सच्चा धर्म है। सेवा में दिखावा नहीं होना चाहिए, वरना यह आत्मसम्मान को चोट पहुंचाता है। मधुर वक्ता रूपेश मुनि जी महाराज ने भक्तिमय भजन प्रस्तुत किया। अंत में उप प्रवर्तक परम पूज्य श्री पंकज मुनि जी महाराज ने मंगल पाठ प्रदान किया।