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करवा चौथ का व्रत नारी की श्रद्धा, संयम और समर्पण का प्रतीक — भारत गौरव डा.वरुण मुनि

करवा चौथ का व्रत नारी की श्रद्धा, संयम और समर्पण का प्रतीक — भारत गौरव डा.वरुण मुनि

महिलाओं का करवा चौथ पर्व आत्मिक शक्ति और अटूट श्रद्धा का प्रतीक

श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य दीप्तिमान प्रवचनकर्ता
भारत गौरव डा. वरुण मुनि म सा ने शुक्रवार को करवा चौथ के पावन अवसर पर अपने प्रेरक प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालु महिलाओं को पवित्र प्रवचन स्थल पर मंगल आशीर्वचन प्रदान किए। उन्होंने कहा कि स्त्री ही परिवार की आत्मा है — उसके व्रत, उपवास और आस्था से घर में शांति, समृद्धि और सौहार्द का वातावरण निर्मित होता है।
मुनि श्री ने करवा चौथ को केवल बाह्य आडंबर का नहीं, बल्कि आंतरिक साधना और आत्मसंयम का पर्व बताया।

उन्होंने उपस्थित सभी महिलाओं को यह प्रेरणा दी कि वे नारीशक्ति के रूप में आध्यात्मिक दृढ़ता, त्याग और प्रेम के गुणों को जीवन में आत्मसात करें।आशीर्वचन देते हुए मुनि श्री ने कहा — “जब नारी अपने मन में प्रेम, विश्वास और संयम की ज्योति जलाती है, तब संपूर्ण परिवार का जीवन प्रकाशित हो उठता है। करवा चौथ व्रत केवल पति की दीर्घायु का नहीं, बल्कि समग्र पारिवारिक सुख-सौख्य का मंगल पर्व है।”कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिलाएँ उपस्थित रहीं, जिन्होंने गुरुश्री के चरणों में शीश नवाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। उपस्थित सभी महिलाओं ने गुरुश्री के आशीर्वचनों को अपने जीवन का प्रेरणा-स्रोत मानते हुए सौभाग्य और सुख-समृद्धि की कामना की।

कार्यक्रम का समापन मंगल भावना, प्रार्थना और सामूहिक पचखान व मंगल पाठ के साथ हुआ।

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