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उपाध्याय प्रवर पूज्यश्री प्रवीण ऋषि जी म.सा. पत्रकारों से हुए मुखातिब

आचार्य प्रवीण ऋषि जी

टैगोर नगर स्थित लालगंगा पटवा भवन, में श्री आनंद चातुर्मास समिति रायपुर के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मासिक प्रचवन के दौरान आयोजित धर्ममयी अनेक कार्यक्रमों के श्रंखला में अर्हम् विज्जा प्रणेता, उपाध्याय प्रवर पूज्यश्री प्रवीण ऋषि जी म.सा. आज पत्रकारों से मुखातिब हुए। इस दौरान पूज्य श्री ने पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर दिये।

पूज्यश्री ने अपने संवाद में कहा कि राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में यह हमारा पहला चातुर्मास है, रायपुर हमें भा गया। इसलिए जोधपुर से यहां आ गये। उन्होंने अपने सद्वचन में कहा कि हम पदयात्री हैं, जो पड़ाव दर पड़ाव चलते रहते हैं, इस दौरान रास्ते में अनेक जीवंतों से मिलना होता है, अनेक अनुभवों प्राप्त होते हैं, सबका अपना जीवन, पर आज व्यक्ति इतना व्यस्त नजर आता है कि उसे अपना परिवार, समाज और राष्ट्र नजर आना बंद हो गया है। लोग इतने स्वार्थी हो गए हैं कि वे दूसरों के अहित करने से भी चूक नहीं रहे।

सोचिए जरा, कोई अपने मोबाईल ढूंढने के लिए लाखों गैलन पानी से भरा बांध तोड़ देने में जरा भी नहीं हिचकता। पूज्यश्री महाराज ने कहा कि इसकी वजह संस्कार की कमी है, संस्कारित माँ-बाप होंगे तो बच्चा भी संस्कारित होगा, इसलिए हमनें पैरेन्ट्स ट्रेनिंग शिविर कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसमें किसी भी धर्म-जाति के व्यक्ति हो उन्हें माता-पिता बनने से पहले और बाद की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि उनके बच्चे, उनकी भविष्य संस्कारमय हो।

इस ट्रेनिंग शिविर में सभी धर्म समाज के ट्रेनर शामिल होंगे। 2006 से आयोजित इस ट्रेनिंग शिविर का आयोजन पूरे देश में चल रहा है, रायपुर में अब इसकी शुरूआत की गई है। उन्होंने पत्रकारों के सवाल, समाज में बड़ रहे आतंकवाद, असमानता व असहजता के प्रश्न के उत्तर में कहा कि जो व्यक्ति बम रखा है।

उसके हाथ में राम की माला कैसे पहुंचे हमें इस पर कार्य करना है, क्योंकि आतंकवाद से लडऩे से आतंकवाद खत्म नहीं बल्कि और बढ़ेगा। उन्होंने वर्तमान में सुखी रहने के लिए समर्थ होने का मंत्र दिया तथा अपने सुवचन में कहा कि आज व्यक्ति क्वालिटी के पीछे भाग रहा है, इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है, ऐसे में यह भागमभाग कभी थमने वाली नहीं है।

पूज्यश्री महाराज ने त्याग की परिभाषा बताते हुए कहा कि वैमनस्यता का त्याग करो, इससे मन में किसी के लिए दुर्भावना पैदा नहीं होगी और और जीवन सुखमय हो जाएगा। पूज्यश्री ने कहा कि सत्य और झूठ, सच और बुराई में जो अपनाना है, यह स्वविवेक पर निर्भर है, व्यक्ति जिसे अपनाता है, उसे वैसे ही परिणाम भुगतने होते हैं

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