वीरपत्ता की पावन भूमि पर आमेट के महावीर भवन मे चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा ने कहा कि ईश्वर पर भरोसा है तो समाप्त हो जाएंगी मुश्किलें संतों की बातें एक कान से सुनकर दूसरे से उड़ाने का कोई लाभ नहीं बल्कि इसे जीवन में उतारना ही वास्तविक सत्संग है। आयोजन का उद्देश्य भी यही है ताकि लोगों के मन को निर्मल किया जा सके।
जीवन में मौका व धोखा दोनों साथ-साथ आते हैं। कभी अच्छा मिलता है जिसे लोग मौका समझकर लाभ उठाना चाहते है लेकिन अक्सर वह धोखा भी साबित होता है। उदाहरण देते हुए कहा कि माता सीता के पास रावण साधु का वेश धारण कर नहीं आता तो मां सीता कभी धोखा न खातीं।
मनुष्य के जीवन में समस्याएं आती जाती रहती हैं इनका डटकर सामना करना चाहिए। ईश्वर पर भरोसा है तो मुश्किलें स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी। महाभारत के एक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि पांडव-कौरव युद्ध के दौरान दुर्योधन ने भगवान श्रीकृष्ण से सेना मांगी थी जबकि अर्जुन ने स्वयं भगवान को मांग लिया। कहा कि बुरे समय में सिर्फ और सिर्फ भगवान पर ही भरोसा रखना चाहिए।
साध्वी चन्दन बाला ने कहा कि सुखविपाक सूत्र के माध्यम से बताया की सुबाहु कुमार ने प्रभु महावीर के पास तीसरा व्रत भी ग्रहण कर लिया और कहांजैन धर्म एक मात्र ऐसा धर्म है, जो सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों की रक्षा करने का संदेश देता है। जैन धर्म में किसी भी जीव की हत्या नहीं की जाती, अपितु उनकी रक्षा की जाती है। ¨हसा-¨हसा है चाहे वह किसी भी जीव को हो अगर हम किसी को जीवन नहीं दे सकते, तो हमें किसी की हत्या करने का भी कोई अधिकार नहीं है।
साध्वी आनंद प्रभा साध्वी विनीत प्रज्ञा ने भी अपने विचार व्यक्त और कहाजैन जीवन का उद्देश्य आत्मा की मुक्ति प्राप्त करना है। जैन धर्म के अनुयायियों को “जैन” कहा जाता है, यह शब्द संस्कृत शब्द जिन (विजेता) से लिया गया है और इसका अर्थ है नैतिक और आध्यात्मिक जीवन के माध्यम से पुनर्जन्म की जीवन धारा को पार करने में विजय का मार्ग।
मिडिया प्रभारी प्रकाश चंद्र बड़ोला एवं मुकेश सिरोया ने बताया कि इस अवसर पर बाहर से आए हुए अतिथि गण का स्वागत सत्कार श्री आमेट संघ ने किया । श्रावक-श्राविकाओं की अच्छी उपस्थिति रही । इस धर्म सभा का संचालन पारसमल बाबेल ने किया ।