श्री हीरा बाग जैन स्थानक में विराजित आयम्बिल आराधिका आगम श्री जी म सा के सानिध्य में आज पर्वाधीराज महापर्व का स्वागत करते हुए कहा जैन धर्म को आत्मा में बसना पर्युषण है। दुनिया में बसना प्रदूषण है। यह पर्व प्रदूषण से निवृत होने की प्रेरणा देने आया है। हमारे भीतर रह रहे कषाय, राग द्वेष, मोह आदि के सारे प्रदूषण को त्याग कर पर्व मनाना है। ये आठ दिन में आत्माओं को श्रृंगारित किया जाता है।
मुखड़े का मेकअप नही, आत्मा का चेकअप करने का समय है। यह त्योहार खाने पीने के लिए नहीं बल्कि त्याग तपस्या से किया जाता है। इस पर्व की आराधना देवी देवता नंदीश्वर द्वीप में जाकर मानते हैं। मानव उत्सव प्रिय है। भारतीय संस्कृति में नित नए पर्व की आराधना करने के लिए आगे बढ़ता है। वार के दिन सात हे पर यह त्योहार आठ मनाए जाते हैं। जीवन को तमाशा नही तीर्थ बनाना है। एक यही पर्व है जो आनंद, उत्साह, खुशियां, तप त्याग से मनाया जाता है। जीव रक्षा हेतु बालक, बालिका, वृद्ध सभी इस को मानते है। जो अपनी आत्म रक्षा करता है।
धर्म कल्याण कारी है। धर्म और संस्कृति की छोटी छोटी कहानियों से सत्ताईस भव के बारे में प्रोजेक्ट बनाने वालों को सम्मान करके उपहार वितरित किए गए। पर्युषन पर्व पर सुनीता संघवी ने मधुर स्वर में बहुत सुंदर गीतिका पेश की। संचालन मंत्री अशोक बांठिया ने किया।