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आत्मा को राग द्वेष से मुक्त करना और सभी परिस्थितियों में समभाव रखना ही सर्वश्रेष्ठ आत्मरक्षा है:  डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.

आत्मा को राग द्वेष से मुक्त करना और सभी परिस्थितियों में समभाव रखना ही सर्वश्रेष्ठ आत्मरक्षा है:  डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.

🏰☔ *साक्षात्कार वर्षावास* ☔🏰

          *ता :05/8/2023 शनिवार*

     🛕 *स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई*

 🪷 *विश्व वंदनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत, दीक्षा दाणेश्वरी प.पू. युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के प्रवचन के अंश

   🪔 *विषय श्री अभिधान राजेंद्र कोष भाग 7*

~ हमारी आत्मा को राग द्वेष से मुक्त करना और सभी परिस्थितियों में समभाव में रखना वह सर्वश्रेष्ठ आत्मरक्षा है।

~ जगत के सभी जीवो को पापों से रहित देखने का सामर्थ्य ही परमात्मा के मिलन का प्रथम कदम है।

~ हमारे भीतर में भी परमात्मा का अंश है ही उसकी सच्ची श्रद्धा से वह अवश्य प्रगट हो सकता है।

~ प्रभु महावीर स्वामी ने 12 1/2 साल की साधना काल में पूर्ण रूप से मौन की साधना की थी और परम मौन दशा को पाया था।

~ प. पू. प्रभु राजेंद्र सुरीश्ववरजी महाराजा ने केवल मंत्र ऊर्जा के बल से 64 दिन में सवा करोड़ बार मंत्र का जाप किया था और ठंडी, गर्मी, भूख, प्यास,मन सभी पर विजय पाया था।

~ हमारे जीवन में यदि सद्गुरु का योग है और उनकी आज्ञा का पालन पूर्ण बहुमान भाव से है तो हमारा जीवन सफल है।

~ साधक हरपल प्रभु और सद्गुरु की आज्ञा से भावित रहता है इसीलिए साधक भी प्रभु जैसा ही बनता है।

~ हमारे जीवन में यदि शासन रक्षा की तीव्र भावना और प्रबल लक्ष्य है तो कुदरत भी हमें वह करने का बल देती है।

~ आत्मा लक्ष्मी शासन रक्षा ही सर्वश्रेष्ठ रक्षा है।

    *”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*

🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪

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