दिवाकर भवन पर चातुर्मास हेतु विराजीत मेवाड़ गौरव, प्रखरवक्त्ता, प्रवचनकार रवीन्द्र मुनि नीरज म.सा. ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए फरमाया कि आईना हमेशा सही दिखाता है। किसी पर भी आरोप लगाना मिथ्यात्व कि श्रेणी मे आता है, ओर जब तक मिथ्यात्व का पर्दा आपकी आत्मा पर लगा रहेगा, आत्मा निर्मल नही बनेगी।
जबकि हमे जानकारी नही होने पर भी दवाई देख कर लेते है कही साईड इफेक्ट न हो जावे तो हम शब्दो को सोचकर क्यो नही बोलते मनुष्य अपनी हरकतो से बाद मे पहले अपनी बोली से पहचाना जाता है। कभी किसी का अनादर नही करे। दुनिया के सारे कार्य राग द्धेष से करना लेकिन भोजन हमेशा प्रेम से करना क्योकि क्रोध मे किया गया भोजन जहर के समान माना गया है। उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री संघ अध्यक्ष इंदरमल टुकडिया कार्यवाहक अध्यक्ष ओम प्रकाश श्रीमाल ने बताया की चातुर्मास मे छोटी बडी तपस्या के साथ ही ताल निवासी प्रकाशचंद्र जी पितलीया ने 32 उपवास के प्रत्याख्यान गुरुदेव से लिये। धर्मसभा का संचालन महामंत्री महावीर छाजेड़ ने कियाl
आभार श्रीसंघ उपाध्यक्ष विनोद ओस्तवाल ने माना।