श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में कर्नाटक तप चंद्रिका प.पू. आगमश्रीजी म.सा. ने बताया कहा अध्यात्म दोषों को छोड़ना है। जब तक ये अंदर में है, तब तक हमारा छन छन भाव मृत्यु चल रही है। जल और जलन, कंटक और कुसुम, विषवेल, अमृतवेल इन सब के फल अलग-अलग है। क्रोध की आग, माया का जाल, मान का नाग, लोभ का छोभ जीवन को नष्ट करने में लगे हैं।
प.पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने बताया उतना ही खाओ जितना आप पचा सको। कब खाना, कैसे खाना, कितना खाना इसके बारे में बताया। बड़ी सुंदरता के साथ समझाया गया। सौ. मंजूबाई राजमल कांटेड के आठ उपवास के प्रत्याख्यान हुए। अध्यक्ष विजयराज चुत्तर ने स्वागत किया। मंत्री हस्तीमल बाफना ने संचालन किया।