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अध्यात्म को प्राणवान बनाने वाला तत्व है तप- साध्वी अणिमाश्री

पंचरंगी तप अभिनंदन समारोह

साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में पचरंगी-तप अभिनंदन का कार्यक्रम तेरापंथ भवन, साहुकारपेट में आयोजित हुआ। साध्वीवृन्द की प्रेरणा से इस कोरोना काल में नौ पचरंगी हुई। इसके साथ ही अशोकजी बोकड़िया एवं सुश्री माधुरी कोठारी अढाई तप लेकर आए, उनका तेरापंथ सभा द्वारा अभिनंदन किया गया।
 

साध्वी अणिमाश्री ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा- भगवान महावीर का दर्शन अध्यात्म का दर्शन है। तप अध्यात्म को प्राणवान बनाने वाला तत्व है। तपस्या के द्वारा व्यक्ति अपने कर्म-मेल का शोधन कर सकता है। जन्म-जन्मान्तरों के अशुभ कर्म संस्कार तपस्या के द्वारा क्षीण किए जा सकते हैं। नानाविध विघ्न बाधाओं को तप के द्वारा परास्त किया जा सकता है। तपस्या से शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक शुद्धि हो सकती है। अग्नि में तपकर जिस तरह स्वर्ण कुंदन बन जाता है, उसी प्रकार तपस्या की आग में तपकर आत्मा पावन बन जाती है।
 

साध्वीश्री ने क्रम को आगे बढ़ाते हुए कहा वर्तमान वैश्विक महामारी के इस काल में तपस्या करना बहुत बढ़ी चुनौती है। इस समय में तपस्वियों ने दृढ़ मनोबल व सुदृढ़ संकल्प बल के साथ पचरंगी तप कर हमारी भावना को साकार किया है। सबको साधुवाद एवं तप के क्षेत्र में बढ़ते रहे।
 

साध्वी कर्णिकाश्री, साध्वी सुधाप्रभा, साध्वी समत्वयशा, साध्वी मैत्रीप्रभा ने पचरंगी तप अनुमोदना गीत में लगभग दौ सौ व्यक्तियों का नामोल्लेख किया। सभाध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया, तेयुप मंत्री संतोष सेठिया, महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती पुष्पा हिरण, टीपीएफ से डॉ कमलेश नाहर ने भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन मंत्री गजेन्द्र खांटेड किया।
           

स्वरुप चन्द दाँती
 प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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