वीरपत्ता की पावन भूमि आमेट के जैन स्थानक मे पर्व पर्यूषण के छठे दिन परम पूज्य गुरुदेव श्रीपन्ना लाल जी महाराज का 134 वा जन्मदिवस मनाया
साध्वी डॉक्टर चंद्रप्रभा ने कहा परम श्रद्धेय, महामहिम, संत शिरोमणि, स्व० पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव श्री पन्नालाल जी महाराज साहब ‘प्राज्ञ’ भी एक ऐसे ज्योति:पुंज महापुरुष थे, जिन्होंने आत्म-विकास के साथ-साथ अनेकानेक भव्यात्माओं को भी सम्यस्ज्ञान का प्रकाश उपलब्ध कराया था।
वे स्वयं यूये के समान तेजस्वी एवं प्रतिभावान तो थे ही, साथ ही सूर्य से विकसित कमल की भाँति विषय-कषाय रूपी पंक से निलेंप, उन्नत एवं आत्मगुणों से पूर्ण प्रकाश- मान भी थे। सज्ञायंमि रओ सया’ इस शास्त्र-वचन के अनुसार वे सर्देव स्वाध्याय में लिन रहते थे । इससे पूज्य गुरुदेव श्री ने अन्तर्मूखता प्राप्त की। जो मनुष्य स्वाध्याय से जितनी अन््तर्मुखता प्राप्त करेगा उतनी ही उसकी द्ृत्ति सात्विक और निर्मल होगी आचारवान वनकर धार्मिक क्रान्ति करने का शंखनाद समाज में फूंका ।
उन्होने अज्ञान को मन की रात कहा, ऐसी रात जिसमें न चाँद हैं त तारे । भुरुदेव श्री पन्नालाल जी महाराज क्रान्तिकारी व्यक्तित्व लेकर प्रकट हुए थे। उनमें स्वस्थ समाज-निर्माण एवं आदर्श व्यक्ति-निर्माण की तड़प थी। वे समाज एवं व्यक्ति को इस बिन्दु तक ले जाना चाहते थे जहां वेषम्य का अभाव हो, गतानुगतिकता न हो एवं मानव चेतना मुक्त होकर अपने सामाजिक व राष्ट्रीय दायित्व का निर्वाह पुरुष को जाग्रत करके पुरुषोत्तम करना यही उतकी साधना का मूलमंत्र होता है।
इसी के सहारे वे समय की रेत पर अमिट चरण-चिह्नू अंकित कर जाते हैं जिनका अनुसरण कर मानवता अपने आपको कृतक्ृत्य अनुभव करती है। वे वाणी में नहीं जीते, वरन् आचरण में जीते हैं। वे कहने के लिए लिखते कम हैं परन्तु लिखने योग्य करते अधिक हैं। पृज्य पन्नालाल जी महाराज साहब का जीवन इसका सच्चा अ्रमाण था। उन्होंने समाज के शिक्षक का कार्य बखूबी विभाया | मालाकार जाति में जन्म लेने के कारण चतुर माली के समान समाज के उद्यान से अवांछतीय झाड़-अंखाड़ों को उखाड़ने में हिचक नहीं की ताकि रक्षणीय की रक्षा हो सके; तभी तो आडम्बर-रहित, रुढियुक्त, स्वस्थ समाज का सुन्दर पौधा अपना सौन्दर्य बिवेर सका ।
साध्वी विनीत रूप प्रज्ञा ने अनंतगढ़ सूत्र के माध्यम से अर्जुन मलिक उदाहरण देते हुए कहा जिन्होंने 6 महीने में कर्म बांधे और 6 महीना में ही कर्म को तोड़ दिए थे हम भी अपने कर्मों को केवल बढ़ा रहे हैं तोड़ने का प्रयास नहीं करें हमें भी अर्जुन मलिक की तरह अपने कर्मों को तोड़ने का प्रयास करना चाहिए जिससे हमारा यह पर्व पर्यूषण मनाना सार्थक हो जाएगा
साध्वी चन्दन बाला जी महाराज ने कहा कल्प सूत्र के माध्यम से पार्श्व नाथ भगवान का वर्णन किया इस धर्म सभा मे पेसाटिया यंत्र का जाप भी चल रहा है, और महामंत्र नवकार मंत्र का भी जाप लगातार चल रहा है इस धर्म सभा का संचालन नरेंद्र बडोला ने कियाl