आमेट के जैन स्थानक महावीर भवन मे साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा ने कहा हर आदमी को अपने जीवन में अच्छे स्वभाव, अच्छी सोच का मालिक होना ही चाहिए। यही वे सद्गुण हैं जो आदमी के वर्तमान को भी उज्ज्वल बनाते हैं। जैसा आदमी का नेचर होता है, वैसा ही फ्यूचर होता है। ‘आनंद और खुशियां” जिंदगी की सबसे बड़ी दौलत है। यह जिंदगी अच्छे रंग के साथ नहीं अच्छे ढंग से जी जानी चाहिए। अच्छे नेचर का मालिक बनना चाहते हो तो अपने स्वभाव में पलने वाले गुस्से को गुडबाय कर दो।लोगों के साथ हमारे रिश्ते कैसे रहेंगे, ये भी हमारा स्वभाव और व्यवहार तय करता है। यदि आपको लगता है कि आपका चेहरा सुंदर नहीं है तो कोई दिक्कत नहीं, अपने स्वभाव को सुंदर बना लो। आपका स्वभाव सुंदर बन गया तो आप लोगों के दिलों में राज करोगे।
साध्वी विनीत प्रज्ञा ने कहा आदमी का शरीर एक दिन मिट्टी में मिल जाता है। पत्थर को भी जब तराशकर प्रतिमा बनाया जा सकता है, ऐसे ही आदमी का अच्छा व्यवहार होता है, जो बाहर से डाला नहीं जाता, फालतू का कचरा जो आपने भीतर में इक्ट्ठा कर रखा है, उसे हटा दो तो आपको लगेगा कि मैं कितना बढ़िया इंसान बन गया।केवल तीन श्वांस की जिंदगी है। पहली श्वांस जन्म की। दूसरी श्वांस है जवानी की और तीसरी बुढ़ापे की। इसके बाद जीवन खत्म हो जाता है।
साध्वी आनन्द प्रभा ने कहा जिंदगी को स्वर्ग सरीखे आनंद और मिठासभरी बनाना चाहते हो तो अपने जीवन से पांच दोषों को हमेशा के लिए समाप्त कर दो। वे हैं- स्वभाव में पलने वाला गुस्सा, भीतर में पलने वाला अहंकार-अभिमान या ईगो, छल-प्रपंच या माया, लोभ और ईर्ष्या। अभिमान को हटाने विनम्रता को अपना लो। माया को हटाने मित्रता को अपना लो। लोभ को हटाने संतोष को अपना लो। संतोष से बड़ा सुख और धन दुनिया में और कुछ होता नहीं है। ईर्ष्या को हटाने सबको अपना मान लो। औरों की खुशी में खुश होना और औरों के दुख को बांटना सीख लो।
मीडिया प्रभारी प्रकाश चंद्र बड़ोला एवं मुकेश सिरोया ने बताया कि शनिवार शाम को उत्तर-गुजरात से बस द्वारा लगभग 50 श्रावक-श्राविकाओं ने गुरुमाता साध्वी जी का दर्शन-प्रवचन लाभ लिया । गुजरात से आये हुए संघ अध्यक्ष व मंत्री का स्वागत शालमाला द्वारा किया गया ।
रविवार सुबह राजा जी का करेड़ा से बस द्वारा महिला मंडल एवं श्रावको ने दर्शन-प्रवचन लाभ लिया । करेड़ा से आये हुए संघ पदाधिकारियो का एवं महिला मंडल अध्य्क्षा का स्वागत आमेट श्री संघ की तरफ से शालमाला द्वारा किया गया । इस अवसर पर नन्हे बालक-बालिकाओ द्वारा गीतिका प्रस्तुत की गई ।
इस अवसर पर वरिष्ठ श्राविकाएँ चंदनबाला सेठ, सुमन खाब्या, कल्पना पारीख, हेमलता तलेसरा, दिलखुश महात्मा, टीपू बाई कोठारी, संतोष बाई डांगी, लहर बाई हिरण कमला कोठारी, पानी बाई दक, पतासी बाई बापना, पारसबाई कोठारी, अनीता सरणोत, टीपू बाई दक, दर्शना तलेसरा, नीरू महात्मा, निधि जैन, आशा आंचलिया, शान्ता बाई कोठारी, मोहन बाई सरणोत, स्नेहा जैन, मन्जू बाबेल, ममता जैन, हेमा बाबेल, विधिका सूर्या, सुमित्रा दक, मधु दक, प्रकाश बाई मुणोत, आशा बांठिया, लीला पिछोलिया, शिविका दक, दिपिका कोठारी, मेघा सरणोत, आशा डांगी, विमला कोठारी, सीमा मुणोत, मोहन बाई सरणोत, अनिता सूर्या, मंजू हिरण, मनोरमा डाँगी, सुमन हिरण, मिना मेहता, शांता देवी सिरोया, प्रेमलता सिरोया, अलका सिरोया आदि सदस्याएं उपस्थित थी ।
इस धर्म सभा का संचालन सुरेश दक ने किया ।