“सुख प्राप्ति का प्रथम सोपान है अन्नदानम्। नर सेवा ही नारायण सेवा है और जन सेवा ही जिनेंद्र भगवान की सच्ची सेवा है।” — ऐसे मंगल विचार भारत गौरव परम पूज्य डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने राजाजीनगर जैन स्थानक में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।उन्होंने अपने प्रेरणादायी प्रवचन में कहा कि संसार का प्रत्येक व्यक्ति सुख पाना चाहता है और प्रभु महावीर ने सुख प्राप्ति के नौ उपाय बताए हैं, जिनमें प्रथम उपाय अन्न का दान है। लोग मंदिरों में जल, फल, नैवेद्य, छप्पन भोग आदि चढ़ाते हैं, जो श्रद्धा का विषय है; किंतु यदि कोई भूखे को भोजन तथा प्यासे को जल पिलाता है, तो यह भेंट निश्चय ही प्रभु तक अवश्य पहुँचती है।महाराज श्री ने समाज में व्याप्त प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालते हुए कहा — “हम देखते हैं कि विवाह, धार्मिक समारोहों और मृत्यु भोजों में बड़े-बड़े भंडारे और प्रसादी के आयोजन किए जाते हैं, प...
चिंचवड-उपाध्याय प्रवर,अर्हम विज्जा प्रणेता पु. प्रविण ऋषिजी म. सा.के दर्शनार्थ आज पहुँचि उपप्रवर्तिनी पु. चंद्रकला श्री जी की सुशिष्या पु. स्नेहा श्रीजी एवं पु. श्रुतप्रज्ञा श्री जी आज उपाध्याय भगवंत के दर्शनार्थ कल्याण प्रतिष्ठान पहुँचे ! उपाध्याय श्री जी ने उपप्रवर्तिनी जी के स्वास्थ्य की साता पुंछ मंगलकामनाएँ प्रेषित की आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघके अध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी ने उपाध्याय श्री जी के दर्शन कर वार्तालाप किया एवं अर्हम बालिका मिश्का ललवाणी के धर्मध्यान मे “ पुच्चिसुणम” कंठस्थ होने की गुरुदेव ने सराहना की! बहुत अर्हम बालकोसंग निरव प्रज्ञेश गांधीने गुरुदेवके मंगलमय आशिर्वाद प्राप्त किये!
आकुर्डी स्थानक भवनका स्वर्णिम चातुर्मास संप्पन्न कर उपप्रवर्तिनी श्रमणी गौरव पु. चंद्रकलाश्री जी म.सा. प्रवचनविभु पु. स्नेहाश्रीजी म.सा.,दिवाकर दिप्ती पु.श्रुतप्रज्ञाजी म.सा. आज संघाध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी के निवास स्थान पहुँचें! कांताजी, संकेत, प्रियंका, मिश्का ललवाणी ने गुरुमॉं एवं साध्वीव्रुंद का स्वागत किया! मंगलाचरण, गुरु आरती, चोविसी कहकर गुरुमॉं एवं पु. स्नेहाश्रीजी ने स्वर्णिम चातुर्मास शिखर पर पहुँचाने के लिए संघाध्यक्ष, विश्वस्तमंडल , एवं श्री संघ को धन्यवाद एवं साधुवाद दिया! ललवाणी परिवार के और से गुरुमॉं पु. चंद्रकलाश्रीजी, पु. स्नेहाश्री जी , पु. श्रुतप्रज्ञा श्री जी को आदरकी चादर कांताजी एवं प्रियंका जी ने प्रदान की साथ मे शारदाजी चोरडीया, अरुणा जी बोरा, नंदाजी लुंकड,आशा जी कर्नावट, माधुरीजी भंसाली, मिश्का ललवाणी! गुरुमॉं एवं साध्वी व्रुंद को विहार सेवा देने हेतु एवं स्वागत के ...
श्रद्धा और भावों से ओतप्रोत गुरु भगवंतों की विहार यात्रा गुरु भगवंतों का विहार राजाजीनगर की ओर — भावभरी विदाई के बीच गूंजे श्रद्धा और भक्ति के स्वर राष्ट्रीय संत उप प्रवर्तक पूज्य श्री पंकज मुनि जी महाराज, भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज एवं मुनिरत्न रूपेश मुनि जी महाराज का पावन विहार आज दोपहर 3:00 बजे गांधीनगर से प्रारंभ होकर राजाजीनगर की ओर होगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए संघ प्रमुख श्री राजेश जी मेहता ने बताया कि पूज्य गुरु भगवंतों के पावन सान्निध्य में अत्यंत भावपूर्ण ढंग से विदाई समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में अनेक गुरुभक्तों ने भजन, स्तुति एवं अपने भावों के माध्यम से गुरु चरणों में श्रद्धा पुष्प अर्पित किए और पूज्य गुरुदेव की मंगल यात्रा के लिए शुभकामनाएं व्यक्त कीं। मुनिरत्न श्री रूपेश मुनि जी महाराज ने बताया कि मंगलवार को दोपहर 2:15 पर मंगलकारी विशेष जाप किए जाएंगे, तत्...
श्री गुजराती जैन स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, गाँधी नगर में आने वाले रविवार, 9 नवम्बर 2025 को “चातुर्मास विदाई एवं कृतज्ञता समर्पण समारोह” का आयोजन अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ होने जा रहा है।इस अवसर पर भारत गौरव, दक्षिण सूर्य, ओजस्वी प्रवचनकार प.पू. गुरुदेव डॉ. श्री वरुण मुनि जी म.सा. ‘अमर शिष्य’ अपने प्रेरणादायक प्रवचन से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत करेंगे।गुरुदेव ने कहा —“कार्तिक पूर्णिमा के दिन चातुर्मास का समापन होता है। इसके पश्चात् संतजन अपनी विहार यात्रा प्रारम्भ कर जनमानस के बीच धर्म का प्रकाश फैलाते हैं। चातुर्मास आत्म साधना, संयम और समाज जागरण की अमूल्य साधना है। ”चार महीनों तक चले इस चातुर्मास के दौरान पूज्य गुरु भगवंतों ने धर्म, ध्यान और त्याग के संदेशों से समाज को आलोकित किया है। संघ प्रमुख श्री राजेश जी मेहता ने बताया कि —“गुरु भगवंतों की कृपा से बैंगल...
धर्म समाज के उत्थान और शुद्धता की रक्षा के लिए समय-समय पर महान आत्माएँ अवतरित होती हैं, जो धर्म को उसके मूल स्वरूप में पुनः प्रतिष्ठित करती हैं। ऐसे ही प्रेरक विचार भारत गौरव डॉ. श्री वरुण मुनि जी महाराज ने गांधीनगर, बेंगलुरु में अपने प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए।मुनि श्री ने कहा — “कोई भी धर्म परंपरा जब प्रारंभ होती है, तो वह गंगोत्री के समान निर्मल और पवित्र होती है, परंतु काल, क्षेत्र और परिस्थितियों के प्रभाव से उसमें कुछ विकार आ जाते हैं। तब समाज में सुधार का कार्य धर्म के उद्धारक महापुरुष करते हैं।”उन्होंने आगे कहा कि स्थानकवासी परंपरा के प्रवर्तक धर्म प्राण वीर लोंकाशाह ऐसे ही एक महान समाज सुधारक और धर्म उद्धारक थे, जिन्होंने धर्म को उसकी मौलिक शुद्धता में स्थापित किया। जब कालचक्र के प्रभाव से धर्म में कुरीतियों का प्रवेश हुआ, तब लोंकाशाह जी ने धर्म के सत्य स्वरूप...
भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी के प्रवचनों ने समाज को दी संयम, सेवा और संस्कार की प्रेरणा बैंगलुरू। श्रुताचार्य श्री गुरु अमर संयम अमृत वर्ष के पावन अवसर पर आयोजित गुरु अमर धार्मिक चित्रकला प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा रविवार को एक भव्य समारोह में की गई।यह आयोजन श्री गुजराती वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ, गांधीनगर (बैंगलुरू) के तत्वावधान में, राष्ट्र संत उपप्रवर्तक पूज्य श्री पंकज मुनि जी म.सा. एवं भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी म.सा. के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ।भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने प्रेरक प्रवचन में कहा —“कला केवल रंगों का मेल नहीं, यह आत्मा की साधना है। जब कला धर्म से जुड़ती है, तो वह समाज में चेतना, संस्कार और संवेदना का संचार करती है। ”महाराजश्री ने आगे कहा —“धर्म का अर्थ केवल मंदिर की सीमा तक सीमित नहीं, बल्कि वह हमारे जीवन के हर कर्म में झलकना चाहिए। जब व्यक्ति शाक...
आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे चल रहे गुरुमॉं उपप्रवर्तिनी श्रमणी गौरव पु. चंद्रकलाश्री जी, प्रवचन विभु पु. स्नेहाश्री जी, दिवाकर दिप्ती पु श्रुतप्रज्ञा़श्री जी म. सा. के स्वर्णिम चातुर्मास का समापन क्रुतज्ञता समारोह से आज अनेक धर्मप्रेमियों के उपस्थिती में हुआ! बहुत से बहनो ने साध्वी व्रुंद के प्रति अपने आदर भाव प्रेषित कर क्या पाया इस पर अपने भाव प्रकट किये! इसी समारोह में पु. गुरुदेव अमरशिष्य वरुण मुनीजी के जीवन पर आधारित डाकुमेंटरी सीडी किर्तनकार एवं मंचसंचालिका डॉ. श्वेता राठोड एवं प्रा. सुरेखा कटारिया द्वारा निर्मित का विमोचन प्रा. अशोकजी पगारिया, संघाध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी, डॉ. अशोक जी बोरा, समाजसेवी सुर्यकांतजी मुथीयान, प्रा. प्रकाशजी कटारिया, तपगंगोत्री मिराबाई लुणीया, एकांतर आराधिका श्रीमती पद् माबाई रायसोनी, जैन कॉन्फ़्रेंस की रा. उपाध्यक्षा लताजी पगारीया, कांताजी...
चेन्नई के बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट साहूकारपेट में स्थित स्वाध्याय भवन में कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर चौमासी पक्खी पर्व जप-तप- त्याग पूर्वक मनाया गया | कार्तिक चतुर्दशी पर्व पर स्वाध्यायी बन्धुवर श्री कांतिलालजी तातेड़ ने पौषध व श्रावक संघ के निवर्तमान कोषाध्यक्ष श्री प्रकाशचंदजी ओस्तवाल ने संवर की साधना की | कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा चौमासी पक्खी पर्व पर स्वाध्यायी श्री कांतिलालजी तातेड़ ने बेले की तपस्या पौषध सहित व श्री प्रकाशचंदजी ओस्तवाल युवक परिषद् के युवा रत्न योगेशजी श्रीश्रीमाल ने उपवास पौषध व श्री दीपकजी श्रीश्रीमाल ने संवर की साधना की | इस प्रसंग पर स्वाध्यायी श्री लीलमचन्दजी बागमार ने देवसीय व योगेशजी श्रीश्रीमाल ने रायसी प्रतिक्रमण करवाया | पौषध व संवर साधना करने वालों के संग स्वाध्यायी श्री ज्ञानजी बागमार,गौतमचन्दजी मुणोत, इंदरचंदजी कर्णावट नवरतनमलजी चोरडिया, उच्छबराजजी गांग,आ...
गुरुदेव के चरणों में श्रद्धा, विदाई में आँसू कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर भारत गौरव पूज्य डॉ. वरुण मुनि जी महाराज के सान्निध्य में एक दिव्य एवं भावनापूर्ण प्रवचन का आयोजन हुआ। मुनि श्री ने अपनी ओजस्वी वाणी से साधकों को धर्म, करुणा और आत्मजागृति के पथ पर अग्रसर होने का प्रेरक संदेश दिया।मुनि श्री ने अपने प्रवचन में कहा —“कार्तिक पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, यह आत्मप्रकाश का पर्व है। जब मन के अंधकार को ज्ञान का दीपक प्रकाशित करता है, तभी सच्ची पूर्णिमा होती है।” प्रवचन के दौरान सम्पूर्ण वातावरण भक्ति और शांति से भर गया। सैकड़ों श्रद्धालु भक्तों ने गहन भावनाओं के साथ मुनि श्री के उपदेशों का लाभ लिया।इस अवसर पर यह घोषणा भी की गई कि चातुर्मास समापन उपरांत पूज्य श्री पंकज मुनि जी, श्री वरुण मुनि जी एवं श्री रूपेश मुनि जी महाराज दिल्ली यात्रा के लिए प्रस्थान करेंगे। यह समाचार सुनकर भक्तों में ...
गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में चातुर्मास के पावन अवसर पर विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने गहन और प्रेरणादायक प्रवचन में श्रद्धालुओं को ध्यान की शक्ति और आत्मशुद्धि के महत्व पर प्रेरक उपदेश दिए।मुनिश्री ने अपने प्रवचन में कहा — “ध्यान वह साधना है जो आत्मा को उसके मूल स्वरूप से जोड़ती है। जब मन की तरंगें शांत होती हैं, तब भीतर का दिव्य प्रकाश स्वयं प्रकट होता है।” उन्होंने समझाया कि बाह्य सुख क्षणिक हैं, किंतु आंतरिक शांति केवल ध्यान की गहराई में ही प्राप्त होती है।गुरुवर ने कहा कि “मुक्ति का द्वार कहीं बाहर नहीं, बल्कि प्रत्येक जीव के अंतर्मन में विद्यमान है। जो व्यक्ति अपने भीतर उतरने का साहस करता है, वह परमात्मा के साक्षात्कार का अनुभव कर सकता है।” उन्होंने यह भी प्रेरणा दी कि ध्यान कोई पलायन नहीं, बल्कि यह तो जीवन को जागरूकता और करुणा से भरने का माध्यम है। साधक ...
चातुर्मास के पावन अवसर पर भारत गौरव डॉक्टर वरुण मुनि जी महाराज ने अपने आज के प्रेरणादायी प्रवचनों में कहा कि “विचारों की शुद्धि ही आत्मा की सिद्धि का प्रथम सोपान है।” उन्होंने कहा कि मनुष्य के समस्त कर्म, उसकी वाणी और व्यवहार, उसके विचारों की ही प्रतिच्छाया हैं। यदि हमारे विचार निर्मल, सात्त्विक और करुणामय होंगे तो जीवन स्वयं ही पवित्रता और शांति से भर जाएगा। मुनि श्री ने समझाया कि आत्मा की सिद्धि कोई बाहरी उपलब्धि नहीं, बल्कि अंतर की निर्मलता का परिणाम है। उन्होंने कहा — “मनुष्य जब अपने भीतर उठते विकारों, ईर्ष्या, क्रोध, और अहंकार को पहचानकर उन्हें साधना से रूपांतरित करता है, तभी वह आत्मबोध की दिशा में अग्रसर होता है।”प्रवचन के दौरान मुनि श्री ने यह भी बताया कि आज की भौतिक युग की प्रतिस्पर्धा में मनुष्य बाहर की उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि वास्तविक प्रगति विचारों की पवित्र...