हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं वह इस प्रकार हैं।
बंधुओं जैसा कि हम सभी जानते हैं की ह्रदय का दूसरा भाव है प्रसन्नता। हर हाल में खुश रहना अभाव में भी और प्रभाव में भी खुद को लाफिंग बुद्धा बनाना ही सच्ची प्रसन्नता है अगर भावो में प्रमोद भावना आए तो मानवता दुखी होगा।
आप बड़े जनों को देखकर नदी में परेशान हो हमेशा आधा गिलास भराही देखें अवगुणों कमियों पर गौर ना करें सकारात्मक सोच सकारात्मक नजरिया आपस में तनाव से बचने का अचूक मंत्र है।
जीवन का मार्ग कुछ ऐसा है यहां पर कदम कदम पर दुख पीड़ा और कसक है माना कि दुनिया देखती है फिर भी आनंद रहने का अवसर जरूर बनाएं खुद को हमें चिंता की जनता में ना जलाए खुद को माचिस की तिल्ली ना बनाएं कि थोड़ा से संघर्ष लगते ही क्रोध की आग से सोते हैं। हम खुद को गुलाब का फूल बनाए जो खुद भी मायके और दूसरों को भी मात दे मैंने अपने जीवन को गुलाब का फूल बनाया है। हम गुलाब की तरह खिले महके उपलब्धि है हमारी यही इसलिए मैं आपसे कहूंगा आप भी अपने को गुलाब की तरह अकेला व्हाट्सएप करें तो जिंदगी अच्छी लगने लगेगी गुलाब की तरह ह परिवार और अपने जीवन में खुशियां ही खुशियां होगी लेकिन मैं कुछ गलत आया हूं तो मिच्छामी दुक्कड़म।
जय जिनेंद्र जय महावी कांता सिसोदिया भायंदर