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स्वाध्याय मन शांती एवं पुण्य की चाबी

स्वाध्याय मन शांती एवं पुण्य की चाबी

स्वाध्याय मन शांती एवं पुण्य की चाबी ! अतित में नही वर्तमान मे जिना सिखों- साध्वी डॉ. राज श्री जी म. सा. आज आकुर्डी स्थानक भवन मे कोथरुड जैन श्रावक संघ का महिला मंडल दर्शनार्थ एवं प्रार्थना हेतु सुबह 6.45 बजे आया ! इस अवसर पर उद् भोदन में डॉ. राज श्री जी म. सा. नीयमीत रुपसे स्वाध्याय करने का एहलान करते हुये घड़ी मे लगे तीन कमेंटों का उदाहरण देते हुये सेकंद कॉंटे की गती जैसा बचपन शीघ्र गती से गुजर जाता है, मिनिट कॉंटे समान जवानी गुज़र जाती हैं और हर एक घंटे मे आगे बढ़ने वाला कॉंटा धिमी गतीसे हमारा बुढ़ापा बिताता है !

हमें उसका इंतज़ार न करते नियमित रुपसे बचपन सेही धर्म आराधना करनी चाहिएँ! वह पुण्य की पुंजि है ! इस अवसर पर आयोजक कविता जी गोठी को श्री संघ द्वारा विश्वस्त ज्योति खिंवसरा ने सन्मानित किया! लुधियाना से जैन अमर परिवार के मुखियॉं वयोव्रुध्द सेनानी कस्तुरीलालजी एवं माताजी कमलादेवी अपने पौत्र अखिल संग दर्शन एवं मंगल आशिर्वाद हेतु पधारे!

श्री संघ द्वारा संघाध्यक्ष सुभाष जी ललवाणी ने उभयतो संग पौत्र अखिल को सन्मानित किया! जैन दुगड परिवार प्रतिवर्ष श्रमण संघीय गुरुभगवंतो के दर्शनार्थ हर क्षेत्रों में विराजित संत महात्माओं के दर्शन हेतु नियमितरुप से सालो से जाते है ! डॉ. राज श्रीजी, डॉ. मेघा़्श्री जी, साध्वी समिक्षा श्री जी, साध्वी जिनाज्ञा श्री जी से धर्म चर्चा कर उनके मंगल आशिर्वाद ग्रहण किये!

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