*🌧️ विंशत्यधिकं शतम्*
*📚📚📚श्रुतप्रसादम्🌧️*
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स्वाध्याय का
सार है अनुप्रेक्षा…
वितराग मार्ग के शास्त्रों में
बारह अनुप्रेक्षाओ का विधान है,
अनुप्रेक्षा को भावना भी कहते है.!
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समस्त दुखों के
कारणभूत धन वैभव,
घर परिवार एवं स्वजनों की
चिंतारूप आर्तध्यान छोड़कर
पदार्थो के तात्त्विक स्वरूप की
अनुप्रेक्षा करनी ही हितकारी है.!
🪜
भावना चिंतन की🪜
सीडियों का 🪜
आलंबन🪜
न मिले तो 🪜
संसार से विरक्त 🪜
आत्मा भी मोक्ष प्राप्ति🪜
नही कर सकता.!🪜
*📘श्रीभवभावना प्रकरणम्📘*
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*तत्त्वचिंतन:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर