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सुख पाना चाहते हैं तो संतोष को धारण करें: डॉ. वरुण मुनि

सुख पाना चाहते हैं तो संतोष को धारण करें: डॉ. वरुण मुनि

चेन्नई. कुछ लोग कहते हैं कि भारत के ऋषि-मुनियों ने यह उपदेश देकर कि- ‘सबर करो, संतोष करो’ इससे भारत के विकास को रोक दिया। पर आप गहराई से अगर विचार करेंगे तो पाएंगे कि विश्व के अनेक देशों में गद्दे, तकिए, ए. सी. वाले बेडरूम भले ही उत्तम कोटि के हों परंतु उन लोगों को नींद की गोलियां खाकर भी नींद नहीं आती जबकि भारत देश में रिक्शा चलाने वाला भी शाम के समय चार मोटी-मोटी रोटी चटनी के साथ खाकर फुटपाथ पर खर्राटेदार नींद लेता है। यह सबर- संतोष का ही परिणाम है। यह विचार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में व्यक्त किए। प्रवचन सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्रमण संघ के प्रथम आचार्य सम्राट फरमाया करते थे कि – साधुजनों यदि आप सुखी होना चाहते हैं तो अपने से ऊपर वालों को देखो, कैसे-कैसे महान संत-महापुरुष हुए हैं। तो आपका जीवन भी एक दिन महान बन जाएगा।

इसी के आचार्य भगवन आत्माराम जी म. कहते थे कि गृहस्थ जनों यदि आप सुखी होना चाहते हो तो अपने से नीचे वालों को देखो। आज भले ही आपके पास किराए का मकान हो पर दुनिया में वे लोग भी हैं जो सडक़ के किनारे सोते हैं। आप को चाहे दाल-रोटी ही मिल रही हो खाने में पर दुनिया में कितने ही ऐसे भी लोग हैं जो पेट भूखे सोते हैं। अगर इस एंगल से आप विचार करेंगे तो लगेगा- आप बहुत सुखी हैं।

 

गुरुदेव ने कहा दूसरों के महल देख कर, अपनी झोपड़ी को जो आग लगा दे तो क्या आप उसे समझदार कहेंगे? शास्त्रकार कहते गोधन, गजधन या रत्नों की खान भी मिल जाए पर अगर संतोष धन न पाया तो बाकी सब धन धूल समान हो जाते हैं। प्रवचन सभा में श्रद्धाशील शालिनी मुथा ने गुरुदेव श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि से 31 उपवास के प्रत्याख्यान भी ग्रहण किए। श्रीसंघ की ओर से शॉल, माला व अभिनंदन पत्र के साथ उनका सम्मान किया गया। संघ के महामंत्री शांतिलाल लूंकड़ ने बताया कि राखी पर्व के दिन (12 अगस्त) को विशेष प्रवचन सभा का आयोजन किया जाएगा।

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