Share This Post

Featured News / Featured Slider / Khabar

साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी के सानिध्य में गतिमान चातुर्मास में तप-तपस्याओं की लड़ी लगी हुई है

साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी के सानिध्य में गतिमान चातुर्मास में तप-तपस्याओं की लड़ी लगी हुई है

विजयनगर स्थानक भवन में विराजित साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी के सानिध्य में गतिमान चातुर्मास में तप-तपस्याओं की लड़ी लगी हुई है। जब से चातुर्मास प्रारम्भ हुआ तब से आज तक एकासन, आयंबिल व तेले की लड़ी अनुवरुद्ध गतिमान है। पर्युषण के पश्चात भी कई अट्ठाईयो के प्रत्याख्यान हुए है। उसी क्रम में आज चार 15 उपवास के प्रत्याख्यान हुए। आज दीपिका बोहरा, रिनाबाई सिंघवी, मिनाक्षी चोपड़ा, व टीना दक इन सभी ने 15 के प्रत्याख्यान लेकर जिन शासन व विजयनगर संघ का गौरव बढ़ाया। इस हेतु श्रीसंघ की तरफ से चुंदड़ी माला व साल द्ववारा बहुमान किया गया। इस उपलक्ष पर पुखराज मेहता, राजेन्द्र कुमार कोठारी व वसंतराज रांका परिवार द्ववारा भी तपस्वियों का सम्मान किया गया।

संघ के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार कोठारी ने सभी तपस्वियों की सुख सात पूछते हुए सभी का अभिनंदन किया। संघ के मंत्री कन्हैया लाल सुराणा ने सभी तपस्वियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए तप की अनुमोदना की एवं उपस्थित श्री अंबेशगुरु सेवा समिति के अध्यक्ष लादूलाल ओस्तवाल, युवा अध्यक्ष हँसमुख मारु, महिला अध्यक्ष ललिता ढ़ीलिवाल, अमित चपलोत मुम्बई इत्यादि कई संघ के पदाधिकारियों का हार्दिक स्वागत किया।

विजय नगर कन्यामण्डल, श्री मेवाड़ जैन बीसा ओसवाल, संघ महिला मंडल, श्री अंबेशगुरु सेवा महिला मंडल अनिता बोहरा ने गीतिका के माध्यम से तप की अनुमोदना की और प्रतिष बाल कलाकार ने हास्य नाटिका द्ववारा तप की महिमा की।

इस शुभ अवसर पर आज यशवंतपुर से 12सदस्यों का महिला मंडल व शिवाजीनगर से 20 सदस्यों का महिला मंडल संघ के रूप में गुरु दर्शनार्थ पधारे ओर साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी की सुख साता पूछकर हार्दिक क्षमा याचना करते हुए धर्म चर्चा की।तपस्या के उपलक्ष में आज की प्रभावना मांगीलाल, फतेहलाल मांडोत व भंवरलाल, तरुणकुमार दक परिवार की तरफ से वितरित की गई।साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी ने तप की महिमा बताते हुए कहा कि आहार शुद्धि से विचार शुद्धि, आचार शुद्धि, व्यवहार शुद्धि, चरित्र शुद्धि की दृढ़ता बढ़ती है तथा तप से व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को वश में करने की कला सिख जाता है।जिससे व्यक्ति संयमी व सम्यक्त्व पुरुषार्थ को प्राप्त करता है। जिस जगह डर हो भय हो उस जगह मनुष्य को नही रहना चाहिये।

साध्वी दीक्षिताश्री ने तप अनुमोदना में एक गीतिका प्रस्तुत की।

साध्वी प्रेक्षाश्रीजी ने बुरी आदतों के बारे में बताते हुए कहा कि किसी भी बुरी आदत के जिम्मेदार अपने अभिभावक होते हैं।जन्म से कोई बुरा नहीं होता है।माता पिता के अधिक लाड़ प्यार से बच्चों में बुरी आदतों का प्रादुर्भाव होता है,जो आगे चलकर माता पिता के लिए भी अभिशाप बन जाता है।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar