आमेट के महावीर भवन मे वीरपत्ता की पावन भूमि पर चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी तपाचार्य जयमाला मा. सा. आदि ठाणा-6 के सानिध्य मे साध्वी आनन्द प्रभा ने कहा कि मेरी भावना’ में एक पंक्ति आती है ‘फैले प्रेम परस्पर जग में, मोह दूर ही रहा करे’ इसका अर्थ ही यह होता है, मोह शरीर और वस्तुओं से ही होता है जिससे दूर रहने को कहा गया है। समाज में निंदा का कारण मोह और वासना बनती है, प्रेम नहीं। अपने बच्चों को धार्मिक, नैतिक संस्कारों की वसीयत लिखकर जाइए। धर्म की वसीयत के अभाव में धन देकर जाओगे तो वे आपस में लड़ेंगे। कहा भी है पुत्र सुपुत्र तो का धन संचय, वह खुद कमा लोगा। पुत्र कुपुत्र तो का धन संचय वह व्यसनों में गवां देगा।
साध्वी चंदनबाला ने कहा कि चेहरे का रंग नहीं जीवन जीने का ढंग बदलना होगा चेहरे का रंग नहीं जीवन जीने का ढंग बदलना होगा, क्योंकि आदमी की पहचान चेहरे के रंग से नहीं जीवन जीने के ढंग से हुआ करती है। आप अपने बच्चों को ज्ञानवान एवं धन सम्पन्ना बनाने के साथ-साथ सद्गुणी बनाने का भी प्रयास करें। धन सम्पन्नाता और विद्वता के कारण लोग पहचानते हैं, लेकिन सरल स्वभावी और व्यक्ति को लोग पहचानते भी हैं और चाहते भी हैं।धरती पर प्रेम एवं सद्गुण न हों तो कोई चार दिन भी जीना नहीं चाहेगा। दूसरी ओर यदि प्रेम, सदाचार या सद्गुण हो तो व्यक्ति सौ वर्ष भी जीने को तैयार हो जाता है। परिवार का बिखरना, तलाक का होना, एक-दूसरे के साथ रहने को तैयार न होना, प्रेम सहनशीलता नम्रता जैसे गुणों का अभाव ही कारण बनता है।
मिडिया प्रभारी प्रकाश चंद्र बड़ोला ने बताया कि इस धर्म सभा मे आज रायपुर से शांतिलाल हिंगड़ के सुपुत्र विनोद हिंगड़ ने 16 उपवास के पच्चाखानं गुरु माता से ग्रहण किया, भीम से रतन लाल मारू के पुत्र कल्पेश मारू, एवं उनकी पुत्रवधू सुनीता मारू ने 8 उपवास के पच्चाखानं गुरु माता से ग्रहण किया । बेंगलोर से मेवाड़ कांफ्रेंस के अध्यक्ष श्री पुखराज मेहता, बेंगलुरु के अध्यक्ष बसंती लाल रांका, कोषाध्याय सुरेश बोहरा, उपाध्यक्ष राजू बोहरा, सोजत सिटी से कॉन्फ्रेंस के युवा अध्यक्ष अशोक धोखा बेंगलुरु से प्रकाश धोखा भी अपने से परिवार सह, साथ पधारे, आसींद से विजयराज कर्णावत एवं मंजू कर्णावत भी पधारी, जोधपुर डंका बाजे महामंदिर से वहां के महामंत्री हीरालाल कोठारी भी इस धर्म सभा में पधारे , सभी का स्वागत अभिनंदन श्री संघ आमेट के द्वारा शाल-माला से किया गया । इस अवसर पर भीम, ताल, देवगढ़, रायपुर, चैन्नई, बैंगलोर आदि शहरो से श्रावक-श्राविकाएँ इस धर्म सभा मे उपस्थित थे । इस धर्म सभा का संचालन पारस बाबेल ने किया ।