आचार्य महाश्रमण के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी , मुनि रमेश कुमार जी , मुनि पद्म कुमार जी एवं मुनि रत्न कुमार जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ धर्मस्थल में आयोजित आगम आधारित प्रवचनमाला में सोमवार को मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को प्रतिबोध देते हुए कहा कि समय की गति को पहचानें। समय का पहिया अपनी गति से अनवरत घूमता ही रहता है। अगर हम समय का सदुपयोग करेंगे तो यह हमारा बन जाएगा। वरना हाथ मलने के सिवाय कुछ नहीं बचेगा। इसलिए कभी अच्छे समय का इंतजार न करें। मुनिश्री ने कहा कि भगवान महावीर का मानना था कि समय की मूल प्रकृति परिवर्तन ही है।
मुनि रमेश कुमार जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाचार्य तुलसी जन-जन के आचार्य थे। आचार्य तुलसी ने संप्रदाय से भी अधिक महत्व मानवता को दिया। मानवता के उत्थान के लिए उन्होंने विविध प्रकार के कार्यक्रम प्रारंभ किए थे। इसलिए वे जैन आचार्य की अपेक्षा एक मानवतावादी संत के रूप में अधिक जाने गए। उन्होंने जैन धर्म को जनधर्म बना दिया। वे अपने स्वस्थ चिंतन से राष्ट्र संत कहलाए। यह तेरापंथ धर्मसंघ के लिए गौरव की बात है। उन्होंने धर्मसंघ की सार-संभाल के साथ अपने व्यक्तित्व को विश्वव्यापी बनाया। उनके जीवन के अनेक प्रेरक प्रसंग हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे गुरुवर एक लंबे समय तक शासन मिला। हम युगों-युगों तक उनके पट्टोत्सव को विकास महोत्सव के रूप में मनाते रहें, यही काम्य है।
मुनि पद्म कुमार एवं मुनि रत्न कुमार जी ने भी उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को प्रेरक प्रसंग सुनाए।
इस आशय की जानकारी सभा के मंत्री राजकुमार बैद ने यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।
*श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गुवाहाटी असम*