श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी महाराज ने शनिवार को धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि संत समागम हितकारी है।
संत के दर्शन मात्र से हमारे पाप,ताप और संताप सभी दूर हो जाते है। गुरु हमारे जीवन निर्माता है। गुरु की शरण में जाएं तो अंहकार को छोड़कर निर्विकार भाव से जाना चाहिए।
तभी आप गुरु कृपा आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और गुरु भगवंत से अपने आत्म कल्याण का, आत्म ज्ञान का सही दिशा बोध, ज्ञान हासिल कर पाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि सत्संग की महिमा बहुत बड़ी बतायी गई है।
सत्संग से सुख मिलता है जीवन का कण कण खिल उठता है। सभी धर्म शास्त्रों, दर्शनो में सत्संग, सन्त समागम का विशिष्ट महत्व बतलाया गया है। जैसे माता अपने संतान को गर्भ संस्कार के साथ उसके जन्म लेने के बाद भी शिशु को प्रदान किए संस्कार संतान में जीवन भर रहते हैं।
उसके बाद बच्चे के बड़ा होने पर गुरु की शरण बालक को भौतिक शिक्षा के साथ आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर उसे कारीगर के समान बच्चों के जीवन को एक सुंदर आकार देकर उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में निपुण बनाते हैं। जीवन में एक आत्म ज्ञानी सद्गुरु की खोज कर, सद्गुरु का सानिध्य प्राप्त हो जाय तो फिर आपकी मुक्ति संभव है।
जीवन में सज्जन पुरुषों की संगति करना चाहिए। प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने अपने विचार भजन के माध्यम से व्यक्त किए। उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको मंगल पाठ प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश मेहता ने कियाl