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सद्गुरु के बिना जीवन की साधना अधूरी है: डॉ . श्री वरुण मुनि जी

सद्गुरु के बिना जीवन की साधना अधूरी है: डॉ . श्री वरुण मुनि जी

 श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी म .सा. ने धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति के लिए अपने जीवन में सद्गुरु का सत्संग , समागम कल्याणकारी हितकारी, मंगलकारी और हमारे असंतुलित जीवन को सही दिशा बोध प्रदान करने वाला होता है। सद्गुरु का समागम मिलना बड़ा कठिन है। उन्होंने कहा कि गुरु हमें जीवन जीने की सही कला सीखाते है।

 मुनि श्री ने राष्ट्रसंत अनन्त उपकारी उत्तर भारतीय प्रर्वतक परम पूज्य दादा गुरुदेव भण्डारी श्री पदम चन्द्र जी महाराज साहब,परम पूज्य श्री मोतीलाल जी महाराज साहब के उन पर एवं जिनशासन पर किये असीम उपकारों को याद करते हुए कहा कि महापुरुषों का जीवन हम सबके लिए एक प्रकाश स्तंभ के समान जीवन को सही दिशा प्रदान करने वाला और प्रेरणादायी होता है।

गुरु हमारे जीवन निर्माता है। बिना गुरु के जीवन शुरू नहीं होता है। गुरु हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को हटाकर सद्ज्ञान के प्रकाश से हमारे जीवन को जगमग आलोकित प्रकाशवान बना देते है। आप जीवन में संत नहीं तो शान्त जरुर बनें। गुरु का आदर सम्मान विनय करना चाहिए। करो सेवा पाओ मेवा। यानिकी गुरु की सेवा समर्पण भावों के साथ करनी चाहिए तो गुरु कृपा आशीर्वाद से आपका मानव जीवन गुरु के मार्गदर्शन से सही लक्ष्य को प्राप्त करते हुए सुखी, समृद्ध शान्त, खुशहाल बन जाता है।

व्यक्ति को गुरु वचनों पर सच्ची श्रद्धा रखते हुए उनके जीवन से धीरता, गंभीरता,दया, करुणा क्षमा एवं त्याग भावना का सद्गुण अपने जीवन में धारण करने का भाव, प्रयास करना चाहिए तो आपका जीवन भी सुखी समृद्ध खुशहाल बन जाएगा। प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने भावपूर्ण भजन की प्रस्तुति दी। उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी म सा ने सबको मांगलिक पाठ प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश भाई मेहता ने किया।

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