दिवाकर भवन पर चातुर्मास हेतु विराजीत मेवाड़ गौरव, प्रखरवक्त्ता, प्रवचनकार रवीन्द्र मुनि नीरज म.सा. ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए धर्म की विशेषता बताते हुए कहां की वस्तु सहवो धम्मों वस्तु का स्वभाव वही धर्म है संसार में हर वस्तु का अपना एक स्वभाव है।
इस संसार में आदमी ही ऐसा व्यक्ति है जिसके अलग-अलग स्वभाव है वह कभी कड़वास से जीता है, कभी मिठास में जीता है, कभी गर्म तो कभी ठंडा हो जाता है लेकिन परमात्मा ने कहा कि आदमी को अपनी सही स्वभाव में जीना चाहिए उन्होंने धर्म की विशेषता बताते हुए कहा कि व्यक्ति बचपन से लेकर बूढ़ा हो जाता है वह हर चीज से जुड़ता है हर कार्य को करता है लेकिन धर्म में जुड़ने में विलंब कर देता है।
अपने बच्चों में धर्म के संस्कार डालते हुए उन्हें केवल सुख में ही नहीं दुख में भी जीना सिखाए यदि बच्चों को दुख में जीना आ जाएगा तो वह जीवन के हर क्षेत्र में अपने कर्तव्य का पालन कर सकेंगे अन्यथा वह छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान नहीं मिलने पर आत्महत्या जैसे घृणित मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं इसलिए जीवन की छोटी-छोटी समस्याओं को भी एवं बड़ी समस्याओं से जो जीते हुए आगे बढ़ने का लक्ष्य रखें।
उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री संघ अध्यक्ष इंदरमल टुकडिया कार्यवाहक अध्यक्ष ओम प्रकाश श्रीमाल ने बताया की ताल निवासी प्रकाशचंद्र जी पितलीया ने 29 उपवास के प्रत्याख्यान गुरुदेव से लिये। धर्मसभा का संचालन महामंत्री महावीर छाजेड़ ने किया आभार श्रीसंघ उपाध्यक्ष विनोद ओस्तवाल ने माना।