वैशाख शुक्ल 10- दशमी को परम उपकारी शासनपति श्रमण भगवान महावीर स्वामीजी का केवलज्ञान कल्याणक दिवस श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ के तत्वावधान में श्रमण भगवान महावीर की स्तुति,प्राथनाएं, गुण स्तुति करते हुए मनाया गया | वरिष्ठ स्वाध्यायी श्री वीरेन्द्रजी कांकरिया ने जैन धर्म के मौलिक इतिहास के अंतर्गत भगवान महावीर स्वामी के केवलज्ञान व केवलीचर्या का उल्लेख किया |
वैशाख शुक्ल 11 एकादशी को शासन स्थापना दिवस के रुप में स्वाध्याय भवन,साहूकारपेट, चेन्नई में मनाया गया | श्रावक संघ के प्रचार प्रसार सचिव आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने उल्लेख किया कि चौवीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने साढ़े बारह वर्षों की साधना के पश्चात वैशाख शुक्ल दशमी को दिन के पिछले प्रहर में जंभिकाग्राम नगर के बाहर, जीर्ण उद्यान के पास, ऋजुबालिका नदी के किनारे, शाल वृक्ष के नीचे, गोदुहिका आसान में बैठे हुए चार घाती कर्मों को क्षय करके उत्तर फाल्गुणी नक्षत्र के योग में केवलज्ञान एवं केवलदर्शन को प्राप्त किया |
भगवान द्वारा केवलज्ञान, केवलदर्शन प्राप्त करने के पश्चात देवताओं द्वारा विशाल समवसरण की रचना की गई | देव-दानव-मानवों की विशाल सभा में प्रभु महावीर ने उच्च सिंहासन पर विराज कर अर्धमागधी भाषा में देशना दी | इंद्रभूति, अग्निभूति आदि ग्यारह गणधरों के साथ कुल 4411 को एक साथ दीक्षा दी, चंदनबाला को प्रथम साध्वी के रुप में दीक्षित किया | शंख, शतक आदि एवं सुलसा आदि ने भगवान के श्रीमुख से श्रावक-श्राविका धर्म स्वीकार किया | भगवान महावीर ने इस प्रकार चतुर्विध संघ रुप में साधु,साध्वी, श्रावक, श्राविका चारो के तीर्थ रुप में स्थापना की |
शासन स्थापना दिवस का जैन धर्म में अत्यन्त ही महत्व हैं | धर्मसभा में श्री गौतमचंदजी मुणोत,विनोदजी जैन, रुपराजजी सेठिया,वीरेन्द्रजी कांकरिया,आर नरेन्द्रजी कांकरिया, इन्दरचंदजी कर्णावट,अम्बालालजी कर्णावट सामायिक गणवेश में उपस्थित थे | सामूहिक व्रत-नियमों प्रत्याख्यान के संग केवलज्ञान कल्याणक व शासन स्थापना दिवस साधना-आराधना पूर्वक मनाया गया|
प्रेषक :-
आर नरेन्द्र कांकरिया, प्रचार प्रसार सचिव
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ – तमिलनाडु ” स्वाध्याय भवन “
24 / 25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट साहूकारपेट, चेन्नई 600 079