विजयनगर स्थानक भवन में विराजित जैन दिवाकरिय साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी ने पर्युषण के चौथे दिन विषयों पर आधारित विवेचन करते हुए व्यसनों के बारे में बताया कि व्यसनग्रसित व्यक्ति अपने शरीर व अपनी आत्मा दोंनो का ही नाश कर देता है। मनुष्य के सप्त कुव्यसन बताये जिनमे से कीसी भी व्यसन की आदत हो जाने पर व्यक्ति अपने बड़े से बड़े वैभव,प्रतिष्ठा को भी खो देता है।जैसे पांडवों ने जुए में अपना साम्राज्य तक खो दिया।
प्रेक्षाश्रीजी ने पहले अंतग़ढ़ सूत्र का वाचन किया बाद में प्रवचन में तप एवं संयम के बारे में बताते हुए कहा कि जो संयमी व तपस्वी होते हैं देवता भी उनके चरणों मे वन्दन करते हैं। तप के 12 प्रकार बताते हुए कहा कि तप आत्मा के भावों से करना चाहिए। तप से आत्मा व शरीर दोनों ही परिपक्व हो जाते हैं, जिससे मन की चंचलता को भी वश में किया जा सकता है वैसे ही जैसे कच्चे मिट्टी के घड़े में पानी नहीं नहीं टिकता है उसे गला देता है पर जब वह आग में तप जाता है तब उसी पानी को वह अपने अंदर ही संग्रहीत रखने की शक्ति उसमें आ जाती है। साध्वी जी ने कहा कि तप के साथ कभी कषाय नही करने चाहिए, अन्यथा तपस्या समस्या बन जाता है तप स्वयं के कर्मो की निर्जरा हेतु किया जाता है। शरीर को पुष्ट व बलवान बनाने एवं आत्मा के कल्याण हेतु किया जाता है पर आज कल तप के साथ दिखावेबाजी ज्यादा हो गयी है, जिसके चलते मध्यम परिवारों के लिए तप करना आसान नही रहा।
साध्वी दीक्षिता श्री ने पर्युषण पर गीतिका प्रस्तुत की। आज साध्वी मंडल द्ववारा अमावस्या के सामूहिक जाप करवाये गए तथा आज सामूहिक बियासना दिवस मनाया गया। जिसकी व्यवस्था संघ के चौके में रखी गयी। निर्मला कटारिया ने गीतिका प्रस्तुत की। 9 की तपस्या के पुर का श्री संघ की ओर से सम्मान किया गया। दोपहर ने कल्पसूत्र का वाचन व एक मिनिट की आध्यात्मिक प्रतियोगिता आयोजित की गयी। बहुमण्डल द्ववारा स्थानक भवन में शुद्ध पानी की मशीन का उद्घाटन किया गया। संघ के मंत्री कन्हैया लाल सुराणा ने कल भगवान महावीर के जन्म वांचनी व अन्य कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की।