*🌧️विंशत्यधिकं शतम्*
*📚📚📚श्रुतप्रसादम्🌧️*
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4️⃣5️⃣
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सत्संग से धर्म श्रवण..
धर्म श्रवण से तत्त्वज्ञान..
तत्त्वज्ञान से विशिष्ट ज्ञान..
विशिष्ट ज्ञान से पाप विरक्ति..
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पाप विरक्ति से संयम..
संयम से आश्रव का संवर..
⚪
संवर से तप
तप से कर्म निर्जरा
निर्जरासे कर्मरहित स्थिति
निष्कर्मी अवस्था से मोक्षप्रप्ति..
💐
अतः
सत्संग ही
सर्व कल्याण का
सर्व रिद्धि सिद्धि का
सर्व साधना आराधना का
शाश्वत परमानंद का मूल हैं.!
*📚श्री भगवतीजी आगम📚*
🌷
*तत्त्वचिंतन:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर