Sagevaani.com @रायपुर। लेश्या बदलने से भाग्य बदल जाता है। टैगोर नगर स्थित लालगंगा पटवा भवन में जारी प्रवचन माला में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि लेश्या को कैसे बदलें, इसका विज्ञान समझायेंगे। तीर्थेश मुनि से प्रवचन से पहले अपने गीतों से बताया कि क्रूर परिणाम से हिंसा करके सुखी रहने वाला दुखी ही रहता है। यह कृष्ण लेश्या का असर है। अर्हम विज्या का लक्ष्य है कि सबकी शुभ लेश्या हो जाए। इस प्रवचन श्रंखला की सहायता से प्रवीण ऋषि कृष्ण लेश्या को बदलने की विधि समझायेंगे। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि कृष्ण लेश्या का योग सूत्र है कि कषाय ऊर्जा देता है और योग उसकी प्रणाली है। कषाय कभी जागृत अवस्था में रहता है, तो कभी निष्क्रिय रहता है। लेकिन योग हमेशा सक्रिय रहता है। योग मन-वचन-काया से ऊर्जा लेता है। अगर आप 10 साल पुरानी बातों को लेकर लड़ेंगे तो योग को और कषाय जागृत हो जाएगा। और ये कृष्ण लेश्या के लक्षण है।
आप कैसे मन-वचन-काया के योग को बदल सकते हैं? योग के परिणाम कई हैं, उनमे से एक है तीव्र परिणाम जिसे तीव्र आरंभ कहते हैं। इसमें व्यक्ति जोर से दरवाजा बंद करता है, थाली पटकता है, अपने कपड़े-जूते रखने के बजाये फेंकता है, बात भी जोर से करता है। सामने वाले को बातें उसकी कांटे के समान चुभती है। दान भी ऐसे करता है कि लेने वाला परेशान हो जाता है। उन्होंने इसे संभालने की विधि भी बताई। उन्होंने कहा कि आप जब कुर्सी पर बैठते हैं तो उसे उठाकर रखें, न कि खिसकाएं। जब चलते हैं तो अपने कदम उठायें, न कि घसीटें। अपने भाव, काम करने के तरीके बदलें। अगर हम दूसरों के लिए समस्या खड़ी करते हैं, तो स्वयं के लिए भी समस्या खड़ी कर लेते हैं।
उन्होंने कहा कि आप किसी को खाना खिलाकर दुआ भी ले सकते हैं, और बद्दुआ भी। जब खाने बैठें तो उस समय खाने के अलावा कोई बात न हो। शिकायत, भाषण आदि बाद के लिए रखें। खाने की मेज पर आप शिकायत लेकर आएंगे तो खाने में जहर मिल जाएगा। यह कृष्ण लेश्या है। वहीं खाना परोसते समय भी हम कई गलती करते हैं। व्यक्ति का स्वाभिमान बनाये रखना परिवार का दायित्व है। अगर आप परोसते समय सवाल करेंगे तो सामने वाला सोचेगा इससे अच्छा तो मैं भूखा रह जाऊँगा।
खाना परोसते समय सवाल नहीं आग्रह किया जाता है। स्वाभिमानी व्यक्ति से पूछेंगे तो वह मना ही करेगा। आप जोर से बोलना बंद कर दें। गुस्सा करें, लेकिन अपनी आवाज पर संयम रखें। अगर डांटना है तो इतने जोर से न बोलें कि आवाज तीसरे के कानों तक पहुंचे। अगर घर की आवाज सौम्य हो गई तो घर कृष्ण लेश्या से मुक्त हो जाएगा।