Share This Post

Featured News / Featured Slider / Khabar

यस यस जैन संघ नार्थ टाउन द्वारा 105 गौशालाओं को अनुदान

यस यस जैन संघ नार्थ टाउन द्वारा 105 गौशालाओं को अनुदान

यस यस जैन संघ नार्थ टाउन में चातुर्मासार्थ विराजित गुरुदेव जयतिलक मुनिजी ने प्रवचन में फरमाया कि आत्म बंधुओ पर्युषण पर्व के दिन है आत्म साधना के लिए बहुत बड़ा समय है। तपस्या की आराधना घर-घर में निश्चित रूप से होनी चाहिए। सर्वाविरति स्वीकार न कर सको कोई बात नही परन्तु देशाविरति स्वीकार करने की भावना रखो, क्योंकि जितनी कर्म निर्जरा भावों से होती है उतनी ही द्रव्य से नहीं होती।

भगवान कहते है तप करते समय पारणे का विचार नहीं आना चाहिए। तपस्या एकान्त रूप से कर्म निर्जरा के लिए करनी चाहिए। तपस्या किसी कामना के लिए नहीं की जाती । तपस्या आत्मा रूपी वस्तु का कर्म रूपी मैल धोने का एक डिटरजेन्ट है। आत्म शुद्धि की चमक चेहरे पर दिखाई पड़ती है। तपस्या से शरीर का अशुभ पुदगल बाहर आ जाता है। जिसकी शरीर व आत्मा शुद्ध हो गयी उसका शरीर बिना साबुन, क्रिम लोशन के भी खिल उठता है। संसार में सबसे उत्तम वाणी जिनवाणी है किसी के मुख से भी जिनवाणी सुनो वो तो तारने वाली ही होती है। पुरुष और स्त्री दोनो यदि अपनी मर्यादा के दायरे को

समझ कर कार्य करे तो नारी अधिकार और नारी सुरक्षा दोनो को प्राप्त करती है। स्वतंत्रता पर अंकुश आवश्यक है। क्योंकि अकुंश पूरे विश्व की रक्षा कर सकता है। अन्यथा अत्याचार और उद्दंडता बढ़ जाती है। पापी जीव पाप का संकल्प करता है। पापी जीव को दूसरो को तड़पाने में ही आनन्द आता है इसलिए ज्ञानी जन कहते है पापी से बचकर रहो और पाप से दूर रहो क्योंकि जैन धर्म यही शिक्षा देता है कि पाप से निवृत हो । जैसी भावना ले कर व्यक्ति जिनवाणी सुनने आता है वह वही प्राप्त करता है अतः भावना सदैव अच्छी और सच्ची होनी चाहिए। धन सहयोग देने पर धर्म अवश्य सहयोग देगा। इसलिए धर्म की नींव पक्की करो।

 यस यस जैन संघ नार्थ टाउन की तरफ से जीव दया के अंतर्गत 105 गौशालाओं, बकराशालाओं को अनुदान दिया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष अशोक कोठारी, मंत्री ललित बेताला, कोषाध्यक्ष राजमल सिसोदिया एवं अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar