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मोहनीय कर्म के उदय से हम दुःखी होते हैं: युवा रत्न श्री राजेशजी ललवानी

मोहनीय कर्म के उदय से हम दुःखी होते हैं: युवा रत्न श्री राजेशजी ललवानी

स्वाध्याय भवन साहूकारपेट चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में युवा रत्न श्री राजेशजी ललवानी ने रविवारीय सामूहिक सामायिक में “वाचमैन” विषय पर विशेष उदबोधन देते हुए कहा कि मोहनीय कर्म के उदय से हम दुःखी होते हैं | जहां-जहां मेरा और मैं आदि भाव हम अपने अन्दर रखते हैं, वहां-वहां हमारे अपनेपन के कारण आसक्ति होती हैं और दर्शन मोहनीय कर्म के नौं भेद हास्य, रति, अरति, भय, जुगुप्सा आदि हमें जकड़ लेते हैं |

शरीर,नाम, रंग,रुप आदि पुदगल पर आसक्ति ही दुःखो का मूल कारण है | केवल ज्ञान होने के पश्चात अरिहन्तों को किसी तरह का दुःख नहीं होता, क्योकि उन्होंने मोहनीय कर्म का क्षय कर लिया हैं | उन्हें दर्द हो सकता हैं क्योंकि उनके वेदनीय कर्म क्षय होने बाकी हैं अतः उनके भी वेदनीय कर्म उदय में आ सकते हैं | वस्तुओं में दुःख नहीं हैं पर वस्तुओं में आसक्ति ही दुःख हैं |

जहां पुदगल से ममता व ममत्व हैं वहां समता व समत्व भाव नहीं होते | सामायिक की साधना समता व समत्व भाव की प्राप्ति करने का अभ्यास रुप हैं | मैं और मेरापन की वृत्ति कषाय की वृद्धि करता हैं व मैं और मेरापन की,अपने भावों में कमी लाना कषाय की मन्दता करता हैं | हमें, मैं और मेरापन के भावों से दूर हटना हैं तो हम वास्तव में सुखी हो सकते हैं |.

धर्म सभा का संचालन करते हुए श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने युवा रत्न श्री राजेशजी ललवानी व सभी उपस्थित श्रावक श्राविकाओं का अभिनन्दन करने के पश्चात उदबोदन में से रोचक प्रश्नोतरी कार्यक्रम रखते हुए बताया कि चातुर्मास काल में दैनिक रुप से प्रातः आठ बजे से समकित का संग मुक्ति का रंग पर वरिष्ठ स्वाध्यायी श्री आर वीरेन्द्रजी कांकरिया द्वारा विशेष स्वाध्याय व वरिष्ठ विद्वान स्वाध्यायी बन्धुवरों विनोदजी जैन, मनीषजी जैन द्वारा विभिन्न तत्वों व विषयों पर उदबोधन स्वाध्याय भवन में गतिमान हैं |

श्रावक संघ की सहयोगी शाखा श्री जैन रत्न युवक परिषद,तमिलनाडु के संचालन में “विंग्स टू फ्लाई” बालक-बालिकाओं का संस्कारीय शिविर स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट व चेन्नई महानगर के सात उपनगरीय क्षेत्रों में हर रविवार को गतिशील हैं |

धर्म सभा में श्री अम्बालाजी कर्णावट,रुपराजजी सेठिया, सज्जनराजजी बोथरा H प्रकाशचंदजी ओस्तवाल, दिनेशजी खींवसरा, दीपकजी श्रीश्रीमाल, योगेशजी श्रीश्रीमाल स्वाध्याय संघ, तमिलनाडु के संयोजक नवरतनमलजी बागमार महावीरजी बागमार सहित अनेक श्रावक- श्राविकाओं की उपस्थिति प्रमोदजन्य रहीं |

स्वाध्यायी बंधुवर श्री नवरतनमलजी चोरडिया ने प्रत्याख्यान करवाये | श्रावक संघ,तमिलनाडु के पूर्व मन्त्री श्री उगमचंदजी कांकरिया ने मंगल पाठ सुनाया | तीर्थंकर भगवन्तों,आचार्य भगवन्त, भावी आचार्यश्री,उपाध्याय भगवन्त, साध्वी प्रमुखा, समस्त चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ रविवारीय सामूहिक सामायिक पर विशेष उदबोदन कार्यक्रम संपन्न हुआ |

प्रेषक :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु 24 / 25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट, चेन्नई तमिलनाडु 600 001.

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