परम पूज्य धैर्योश्रीजी म सा ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया अरिस्टनेंमी भगवान के शासन के चरित्र आत्माओं का वर्णन कियाl देवकी महारानी इनके पुत्र के विलाप का रोचक घटना के माध्यम से आंखों के सामने दृश्य खड़ा कर दिया मां क्या होती हैl उसकी ममता को कोई नाप नहीं सकता मां तेरा जवाब नहीं तेरा साया ही मेरा उजाला हैl मां को दे देवत्व का स्थान देने वाली एकमात्र संस्कृति भारतीय संस्कृति हैl
आज इस धरती को श्रवण कुमार की जरूरत है जिस घर में मां की सेवा होती है वही घर स्वर्ग होता हैl शासन में दो की महिमा गई है एक जननी दूसरी जन्म भूमि कहां भी है जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। इसी विषय को लेकर सातवीं आगम श्री जी महाराज साहब ने मां की ममता के बारे में बताया जननी और जन्मभूमि इन दोनों से विराट विशाल कोई भी नहीं है साधना का पहला चरण माता-पिता की सेवा करना पर आज घर-घर में मां के हालात क्या है और मां की और आंख भी उठा कर नहीं देखते कैसे कलयुग के बेटे हैंl
घर में माटी का माधव पूजा जाता है पर मां-बाप को घर-घर फिरना पड़ता है माता-पिता की पूजा किसी मंदिर के चंदन से काम नहीं हैl इनका अरुण कैसे चूकाओगे आप एक ही उपाय हैं उनको धर्म करनी करने में सहयोग तो दो मीठे बोल बोल संत महात्मा की सेवा का अवसर तो शीश चढ़ेगी तो आशीष मिलेगाl आशीष तो क्या इस भी मिलेगा घटना का वर्णन करते हुए सभी सभा के सभासदों के आंखों से अश्क पहने लगे सभी इमोशनल हो गए सदा उन्हीं को धन्यवाद दो मां के दम से ही संसार बस हैl इसी के कोख से तीर्थंकर चक्रवर्ती रामकृष्ण महात्मा इन महात्माओं का जन्म हुआ है। प्रवचन के बाद में डॉक्टर भिकमचंदजी सकलेचा इन्होंने अपना वक्तव्य रखा। अशोक जी बाटियांजीने दो शब्द कहे मां के बारे में संचालन भाटिया जी ने किया।