हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना जी गुरुणी मैया साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं वह इस प्रकार हैं।
बंधुओं जैसे कि इस संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्य है उसकी श्रेष्ठा एवं महत्ता का कारण उसकी स्वतंत्रता है। पशु पक्षी पेड़ पौधे तो स्वतंत्रता है क्योंकि उन्हें अपनी चेतना का बोध नही है ।
सिर्फ मनुष्य में ही अपार क्षमताएं है कि वह जो चाहे वह बन सकता है। मनुष्य जन्म तो मंदिर की सीडी की भाती है । जो दोनो दिशाओं में गति करता है।
सिढी का प्रयोजन इतना ही है जो हम मंदिर पहुंच जाए द्वार पर ही बैठे ना रहे। मनुष्य का परम सौभाग्य है कि वह परमात्मा पद की साधना को प्राप्त कर सकता है जीवन में ऐसा होता है कि बहुमूल्य चीजों को पाने के लिए श्रमकरते हैं।
भव भ्रमण करते हैं इसलिए मनुष्य को चाहिए कि धर्म आराधना करें अपना जीवन सफल बनाएं।