नववर्ष की प्रभात वेला में होगी मंगल मंत्रोच्चार की वर्षा
भारत को आजाद हुए 75 वर्ष हो गये पर आज भारत स्वतंत्र होने के बाद भी परतंत्रता के घेरे में है और वह घेरा है – भ्रष्टाचार, अनैतिकता। आज हर व्यक्ति आगे बढ़ना चाहता है और आगे बढ़ने के लिए वह अप्रमाणिक तौर तरीकों को अपना लेता है। छल कपट का सहारा लेकर वह सबसे पहले लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है। उपरोक्त विचार ब्रह्मऋषि जैन भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री अर्हत् कुमार ने कहे।
मुनिश्री ने आगे कहा कि भगवान महावीर ने कहा – *’माया मित्ताणि नासेई’* अर्थात् माया सद्गुणों की मित्रता का नाश कराती है। महान वही होता है जो कठिन परिस्थिति में भी अपने ईमान को नहीं बेचता। जो ईमान का सम्मान करता है, उसका जग सम्मान करता है। अगर हम दूसरों के लिए खाई खोदेंगें तो एक दिन हम ही उसमें गिरेंगें। दूसरों को दुखी कर कोई भी सुख चैन से नहीं जी सकता। हम अपने मन को सरल बनाएं क्योंकि भोले के ही भगवान होते हैं।
स्थानकवासी समाज की भावना को स्वीकार कर ब्रह्मऋषि जैन भवन पधारकर वहां उपस्थित लोगों को संबोधित किया। मुनिश्री ने आगे कहा – अगर व्यक्ति सांप से एक बार डरता है, तो पाप से हजार बार डरें। हर व्यक्ति के भीतर चार कषाय रूपी सांप मौजूद है, जो आत्मा गुणों को निरंतर डस रहे हैं। सांप के काटने से एक जन्म बिगड़ता है, पर कषाय रूपी सांप के काटने से जन्मोजन्म बिगड़ जाता है। हमें कषाय विजयी बनने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। क्रोध, मान, माया और लोभ का परिहार कर अपनी आत्मा को शुद्ध बनाना चाहिए।
मुनिश्री भरतकुमारजी ने कहा – हर व्यक्ति को सत्संग के रंग में रंगना चाहिए, क्योंकि सत्संगत में आने से पापी पावन बन जाता है, उसका जीवन स्वर्ण के समान निखर जाता है और वह अपनी आत्मा को परमात्मा बना लेता है। सत्संग की आधी घडी भी व्यक्ति के जीवन की दिशा-दशा बदल सकती है। मुनिश्री जयदीपकुमारजी ने सत्संग पर प्रकाश डालते हुए गीत का संगान किया। स्थानकवासी महिला मंडल की ओर से गीतिका की प्रस्तुति हुई और मुनिश्री की इस कृपा से सब भाव विभोर हो गए। श्री कुलदीपजी मेहता ने स्वागत भाषण दिया। नववर्ष 2022 की प्रभात वेला में मुनिश्री के मुखारविन्द से मंगल मंत्रोच्चार के साथ वृहद मंगल पाठ समुच्चारण होगा।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई
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