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भारत की अध्यात्म परम्परा गतिशील बनी रहे साध्वी डा मंगलप्रज्ञा

भारत की अध्यात्म परम्परा गतिशील बनी रहे साध्वी डा मंगलप्रज्ञा
परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी की प्रबुद्ध शिष्या साध्वी मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में श्रीमान संतोषजी कातरेला के निवास स्थान पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें राष्ट्रीय एवं सामाजिक विभिन्न विषयों पर विचार- विमर्श किया गया। संगोष्ठी में अनेक गणमान्य प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
श्री हुक्मीचन्दजी जैन सावला उपाध्यक्ष अन्तर्राष्ट्रीय विश्व हिन्दु परिषद की विशेष उपस्थिति एवं सहभागिता रही। राष्ट्र की वर्तमान समस्याओं के संदर्भ में अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हुए श्री सावलाजी ने विश्व हिंदू परिषद् द्वारा किए जा रहे कार्यों की अवगति दी। सावलाजी ने आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञजी एवं आचार्य श्री महाश्रमणजी के साथ हुए अपने संस्मरणों को भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा आचार्य महाप्रज्ञजी का साहित्य उत्कृष्ट कोटि का है, जिसने अनेकों लोगों की जीवनधारा को मोड़ा है। वे जनभोग्य भाषा में बोलते थे।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा भारत अध्यात्म प्रधान देश रहा है। इसकी अध्यात्म की विशिष्ट परम्परा है, हमें समस्याओं के समाधान में आध्यात्मिक दृष्टिकोण को भी वरीयता देनी चाहिए।
 संगोष्ठी में उत्तर तमिलनाडु के प्रान्त प्रचारक श्री रविकुमारजी, विश्व हिन्दू परिषद् के संगठन सचिव श्री रामनजी, आर एस एस के बाघ संघ संचालक पाश्र्वकुमारजी, गौ सेवा संयोजक विनोदजी, जैन महासंघ से विमलजी शाह, श्री संतोषजी कातरेला, श्रीमती मालाजी कातरेला, श्री सम्पतजी सेठिया, तेयुप उपाध्यक्ष श्री विशाल सुराणा, सहमंत्री श्री संदीप मूथा, डॉक्टर श्रीधरन आदि अनेक गणमान्य व्यक्तियों की सहभागिता रही।

            स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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