पर्युषण पर्व का त्रुतिय पुष्प प्रारंभ हुआ! पु. श्रुतप्रज्ञाश्री जी ने अंतगडसुत्र का वाचन किया , गुरुमॉं पु. चंद्रकला श्रीजी ने प्रभु महावीर के समवसरण की यात्रा करायी! मेरे महावीर भगवान मेरे मनमंदीर मे आओ! बचपन में माता पिता का हाथ, जवानी मे परिवार का सांथ, बुढापे मे परमात्मा की शरण स्वीकारो! बुढ़ापा जीवन का मुख्य अध्याय है ! भोग नही योग के साधन बनो! दुनीया मे आये बिना वस्र आये, जब जाओ महावीरजी का वस्र धारण करो बहनों चंदनबाला का वस्र धारण करो!
बुढ़ापा अभिशाप नही , आशिर्वाद है! जब दादाजी बनोगे दादागिरी छोड़ देना! दिल दर्या रखो, खुला रखो यह संदेश पु स्नेहाश्रीजी ने पारिवारिक द्रष्टांत देकर दिया! आलंदी से आये महावीर लुणावत ने 16 उपवास के प्रत्याख्यान लिए! संघाध्यंक्ष सुभाष ललवाणी ने उपस्थित महानुभावों का स्वागत किया एवं दानराशी घोषित करनेवाले परिवारो का शब्दसुमनो से स्वागत किया!