हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना जी गुरुणी मैया एवं 7 थाणा आदि साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं वह इस प्रकार हैं।
बंधुओं जैसे
बिजी रहे पर इजी भी रहे
पहला प्रिंसिपल पहला उसूल है
हम अपने आप से सहजता से पूछे एवं स्वयं से पूछे कि हम कितने इजी हैं बिजी तो है लेकिन इजी कितने हैं। क्या सुबह उठकर माता-पिता को प्रणाम करने की आदत है अगर नहीं तो आप अन इजी है इजी आदमी तो जट से झुक जाएगा। जल्दी से सहज एवं सरल भी हो जाएगा अगर आपके घर पर कोई मेहमान आए उनको देखकर आपके मन में अति प्रसन्नता आती है या फिर परेशान हो जाते हो अगर आप में प्रसन्नता आती हैं तो इंजीनेस और खेद होता है और अगर प्रसन्न नहीं रहते हो तो ईजिनेस।
जीवन में यह सदा याद रखना चाहिए की प्रकृति परिवर्तनशील है। सब कुछ बदलता रहता है जब परिणाम दोनों में से आना चाहिए तो इजीनिस क्यों खोये इसलिए विशमता में भी क्षमता रखिए यही जिंदगी जीने की कला है।
एवं पद्मावती माता केएकासन भी आज से चालू किए हैं 1०० बहिनों ने पार्टिसिपेट किया ऐसे ही धर्म आराधना चलती है जय जिनेंद्र जय महावीर भाईंदर से कांता सिसोदिया।